गौरव सिंह/भोजपुर.सफलता के शिखर पर पहुंचने के लिए दिव्यांगता कोई बाधा नहीं इसका जीता जागता उदाहरण जिले के जगदीशपुर में दिखा. जहां हिमराज सिंह की स्वयं सेवी संस्था जन विकास क्रांति ने दर्जनों दिव्यांगों को रोजगार देकर उन्हें समाज में अपनी पहचान दिलाई है. इनके यहां आस-पास के गांव के दो दर्जन दिव्यांग काम करने अपने बैट्री संचालित रिक्शा से आते हैं.
जगदीशपुर के नयका टोला मोड़ पर ये संस्था का वर्कशॉप है जहां खिलौना और सजाने की वस्तु जैसे पेन स्टैंड, कैंडल स्टैंड, पक्षी, ग्रन्थ पढ़ने वाला स्टैंड ऑफिस टेबल पर सजाने वाले वस्तु इत्यादि चीजो का निर्माण होता है. संस्था के संचालक हिमराज सिंह को सामाजिक बेहतर कार्यो के लिए सुकरात सोशल रिसर्च यूनिवर्सिटी दिल्ली से सोसल एक्टिविटी में डॉक्टर की उपाधि भी मिली है.
यहां 25 दिव्यांग करते हैं काम
बिहार के आरा के जगदीशपुर में एक युवक के द्वारा निजी संस्थान खोल कर सिर्फ दिव्यांगों को रोजगार दिया जा रहा है. यहां 25 दिव्यांग काम करते हैं. इनके द्वारा काठ व लकड़ी से घर में सजाने वाली वस्तु और खिलौना का निर्माण किया जाता है. साथ ही ये बिहार संग्रहालय और इत्यादि जगहों पर बेचे जाते है. निजी संस्थान जन विकास क्रांति प्रशिक्षण सह उत्पादक के संचालक का नाम डॉ.हिमराज सिंह है जो की जगदीशपुर के दावा गांव के निवासी हैं.
दिव्यांगों को मुख्य धारा में लाने का अनोखा पहल
संस्था के महासचिव हिमराज सिंह ने बताया कि यहां बने खिलौनों, सजावट की वस्तुएं की फिनीशिग अच्छी होने के कारण पटना, सासाराम, बक्सर और स्थानीय बाजार में अच्छी मांग है.व्यापारी खुद यहां आकर तैयार खिलौने ले जाते हैं.इसके अलावे देश के विभिन्न शहरों से हमे ऑर्डर मिलता है और हम ऑर्डर के मुताबिक काम कर पार्सल कर देते है साथ ही पटना में मौजूद बिहार संग्रहालय के दुकान पर हमारे बनाये प्रोडक्ट बेचे जाते है अभी सोनपुर मेला में भी बेचा जा रहा है.
सामान्य नागरिक के बराबर सम्मान मिले यही सोच
लोकल 18 से बात करते हुए हिमराज ने बताया कि दिव्यांगों को हमारे समाज में अच्छी भावना से नहीं देखा जाता है. सामान्य नागरिक के बराबर उनको सम्मान नहीं मिलता है. इनको सामान्य नागरिक के बराबर सम्मान मिले, यही सोचकर हम अपनी संस्था में सिर्फ दिव्यांगों को रोजगार देते हैं. मेरे यहाँ लगभग 25 दिव्यांग अभी रोजगार प्राप्त किए हैं. इनको 5 हजार से 8 हजार के बीच तन्ख्वाह दिया जाता है.
घर की सजावट की वस्तुएं हैं बनाते
हमारी संस्था का उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया कराई जाए. हमने देखा कि दिव्यांग लोग अपने घरों में बैठे हैं, समाज उन्हें हीन भावना से देखती है. जिसके बाद हमने सोंचा की क्यों नहीं इन दिव्यांग भाईयों के साथ मिलकर कुछ किया जाए. फिर हमने लकड़ी से बने विभिन्न प्रकार की सजावट की वस्तुएं बनाने लगे. ग्रामीण इलाका होने के कारण हमें लकड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाता है. जिससे हम घर की सजावट की वस्तुएं बनाते हैं. सबसे पहले हमने दिव्यांगों को प्रशिक्षण दिया प्रशिक्षण के बाद उन्हें 5 से 8 हजार रुपये तक नौकरी अपने गाँव में मिली. हमने जुलाई 2021 से इसकी शुरुआत की और अभी हमारे यहां 25 दिव्यांग काम कर रहे हैं.
कहते हैं दिव्यांग, मिला सम्मान
वही दिव्यांग शिव जी ने बताया कि रोजगार मिलने के बाद हमें समाज में सम्मान मिला है. हमलोग यहां लकड़ी के आकर्षण बैलगाड़ी, पेन स्टैंड, टेबल लैंप, बगुला, बत्तख बनाते हैं. जिसे ग्राहक खूब पसंद करते हैं. हमलोग पहले इसे लोकल मार्केट में ही बेचते थे, लेकिन अब राज्य के कई जिला में जाता है और बैंगलोर, दिल्ली और मुम्बई से भी ऑर्डर आ रहे है.
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FIRST PUBLISHED : January 2, 2024, 15:38 IST