सैनिकों के लिए बना था मध्य भारत का सबसे पुराना चर्च, जानें इसका पूरा इतिहास

अनुज गौतम / सागर. 1857 की क्रांति से कई साल पहले बुंदेलखंड में बुंदेला विद्रोह धधकने लगा था जिसका दमन करने के लिए ब्रिटिश शासन में सागर में छावनी बनाई गई थी. इसमें बड़ी संख्या में अंग्रेजी अधिकारी कर्मचारी और सैनिकों के लिए तैनात किया गया था. अंग्रेजी अफसर और कर्मचारी को प्रभु की आराधना करने के लिए यहां पर एक बेहद ही खूबसूरत चर्च का निर्माण भी कराया गया था. इस चर्च को बनाने के लिए इटली से पुर्तगाल आए थे जिन्होंने करीब 5 सालों में इसे बनाकर तैयार किया था.

पुर्तगाल ग्रीक पद्धति से बनाया था चर्च
यह चर्च पुर्तगाल ग्रीक पद्धति से बना हुआ है यह इटली की बेहद खास तरह की कारीगरी होती है जो त्रिकोणीय आधार पर है. इसमें सागौन की लकड़ी और अच्छे पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. इसमें सबसे पहली आराधना 12 जनवरी 1841 को हुई थी और आज भी रविवार के दिन यहां पर ईसाई समुदाय के लोगों के द्वारा प्रभु यीशु से प्रार्थना की जाती है. खास बात यह है कि 182 साल के बाद भी यह चर्च खूबसूरती बनाए हुए हैं.

चर्च को बनाने इटली से आए थे कारीगर
सागर के इस चर्च को सेंट पीटर चर्च के नाम से जाना जाता है. जो मध्य भारत का सबसे पुराना और सबसे खूबसूरत चर्चों में से एक है. राष्ट्रीय ईसाई महासंघ के जिला अध्यक्ष सजेंद्र कनासिया  ने कहा कि साल 1835 में इटली से आए पुर्तगालियों के द्वारा इसका निर्माण कार्य शुरू किया गया था. 1840 में बनकर यह चर्च तैयार हो गया था और फिर जनवरी 1841 में इसमें प्रभु से आराधना शुरू की गई थी. करीब 200 साल हो जाने के बाद भी यह चर्च न केवल अपना अस्तित्व बचाए हुए हैं, बल्कि आज भी उसी खूबसूरती के साथ खड़ा हुआ है. फर्नीचर, झूमर, फ्लोर डाइस सहित हर एक चीज पूरी तरह से सुरक्षित है और वह कायदा इसका उपयोग भी किया जा रहा है लेकिन किसी भी चीज में जरा सी भी आंच नहीं आई है.

सागर संभाग का सबसे पुराना चर्च
सजेंद्र बताते हैं कि इस चर्च में थोड़ी बहुत मेंटेनेंस के अलावा कुछ नहीं किया जाता है. जिस पद्धति से इसको तैयार किया गया था इसके अलावा वह कहीं और दिखाई नहीं पड़ती है यह सागर संभाग और बुंदेलखंड का सबसे पुराना चर्च है सागर संभाग में इसके बाद ही अन्य जगहों पर चर्च के निर्माण किए गए थे. यह चर्च कैंट छावनी परिषद के बाजू में स्थित है.

क्रिसमस पर होंगे विभिन्न कार्यक्रम
25 दिसंबर क्रिसमस डे की यानी कि प्रभु यीशु के जन्म पर ईसाई समुदाय के लोगों के द्वारा यहां पर प्रार्थना की जाएगी कैंडल जलाई जाएंगे ईसाई गीत गाए जाएंगे प्रभु का जन्म मानव रूप में होने की व्याख्या गीतों के माध्यम से होगी. सुबह 9:30 बजे से कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे.

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