कुंदन कुमार/गया. बिरयानी में अब बिहार की मिट्टी की खुशबू आएगी. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि बिरयानी राइस बासमती धान की खेती अब बिहार के गया में बड़े स्तर पर शुरू हो गई है. इसकी खेती बड़े पैमाने पर पंजाब और हरियाणा में होती है, लेकिन पिछले साल से इसकी खेती बिहार के गया में शुरू हो गई है. गया के किसान बिरयानी धान बासमती की खेती शुरू की है. इस बार गया जिले में लगभग 250 एकड़ में बिरयानी धान की खेती की गई. इसकी खेती से किसानों को प्रति एकड़ 70 हजार रुपये की बचत हुई है.
धान की परंपरागत फसल बड़े पैमाने पर होती है, लेकिन अब किसान धान की खेती में बदलाव ला रहे हैं. बिरयानी चावल के धान में परम्परागत धान के समान ही समय, मेहनत और पूंजी लगती है, लेकिन आम धान की फसल से दोगुना फायदा होता है. लिहाजा किसान धान की खेती में ट्रेंड बदल रहे हैं. बड़े पैमाने पर बिरयानी राइस की खेती कर रहे हैं. बिरयानी राइस की धान की बात करें तो हरियाणा के मंडियों में 35-45 रुपए प्रति किलो तक धान की बिक्री हो जाती है. जबकि सामान्य धान की कीमत 15-20 रुपए प्रति किलो है.
प्रति कट्ठा 1.5 मन धान का उत्पादन
गया के परैया, टिकारी और टनकुप्पा प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों किसानों ने बिरयानी राइस की खेती की है और बेहतर उत्पादन भी हुआ है. परैया प्रखंड के कजरी गांव में 90 एकड़, कोंच प्रखंड के विभिन्न गांवों में लगभग 70 एकड़, टिकारी प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में लगभग 80 एकड़, शेरघाटी में 20 एकड़ में इसकी खेती की गई है. प्रति कट्ठा डेढ़ मन (60 किलो) धान का उत्पादन हुआ है. अब इस धान को महंगे दर पर हरियाणा भेजने की तैयारी चल रही है.
पहले ट्रायल के बाद मिली सफलता
किसान अनिल सिंह ने बताया कि पिछले साल ट्रायल के तौर पर इसकी खेती शुरू की थी. जिसमें सफलता मिली थी. हरियाणा के किसानों से टिप्स भी ली है. जिसमें बेहतर प्रोडक्शन हुआ है. पंजाब हरियाणा में अधिकतर बिरयानी राइस की खेती की जाती है. वहां पर रासायनिक खाद और दवा का प्रयोग ज्यादा होता है. इस चावल की डिमांड हर जगह है. पंजाब, हरियाणा की तुलना में बिहार में कम रासायनिक खाद और दवा का प्रयोग किया जाता है. इसके बाद वहां से बीज लाकर अपने खेतों में प्रयोग के तौर पर लगाया. प्रयोग सफल होने पर अब बड़े स्तर पर किया जा रहा है. दूसरे किसानों से भी इसकी खेती कराई जा रही है.
किसानों को मिल रही अच्छी कीमत
गया जिला कृषि पदाधिकारी अजय कुमार सिंह बताते हैं कि पिछले साल से बिरयानी धान की खेती जिले में शुरू की गई थी लेकिन इस बार बड़े पैमाने पर इसकी खेती की गई है. परैया प्रखंड क्षेत्र के रहने वाले किसान अनिल सिंह इसकी खेती करते हैं और दूसरे किसानों से भी करवाते हैं. यह धान पंजाब और हरियाणा भेजा जाता है. किसानों को अच्छी कीमत मिलती है. अगर सरकार के द्वारा बिहार में इसकी मील लगा दी जाती है, तो यह धान किसानों के लिए बेहतर आय का साधन बन सकता है. किसान इसकी खेती से जुड़ सकेंगे.
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FIRST PUBLISHED : December 20, 2023, 13:15 IST