मध्य प्रदेश सरकार की लाडली बहना योजना की चर्चा सिर्फ प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में होती है। नए मुख्यमंत्री के आने के बाद से ही महिलाओं में ये दुविधा है कि ये योजना बंद की जा सकती है, जिसकी चिंता प्रदेश की महिलाओं को सता रही है। ये योजना काफी लोकप्रिय है, जिसे जारी रखने का दबाव नए मुख्यमंत्री पर भी होगा। इस योजना के जारी रहने और बंद होने की दुविधा के बीच भारतीय स्टेट बैंक ने नई रिपोर्ट साझा की है।
भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक विभाग द्वारा जारी एक विशेष शोध रिपोर्ट में मध्य प्रदेश सरकार की लाडली बहना योजना का विश्लेषण किया गया है। इस योजना को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि ये योजना कई पारंपरिक सीमाओं तो तोड़ते हुए महिलाओं को सशक्त बनाने में जुटी हुई है। लाडली बहना योजना के विश्लेषण की रिपोर्ट “महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण विकास के लिए अनिवार्य शर्त: कैसे मध्य प्रदेश में लाडली बहना योजना ने सीमाओं को पार किया”। इस विश्लेषण में महिला सशक्तिकरण के कई पहलुओं की जांच की गई है। उनकी भूमिका पर गौर किया गया है।
बता दें कि मध्य प्रदेश की सरकार ने 28 जनवरी 2023 को राज्य में महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता के लिए “मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना” के कार्यान्वयन की घोषणा की थी, जिससे श्रम शक्ति में महिलाओं की कम भागीदारी को बढ़ाना था। इस योजना के तहत हर पात्र महिला को उसके आधार से जुड़े डीबीटी सक्षम बैंक खाते में प्रति माह 1,250 रुपये (पहले: 1000 रुपये) का भुगतान होता है। इसका मतलब है कि 21-60 वर्ष की आयु की पात्र महिलाओं के बैंक खातों में 15,000 रुपये की वार्षिक राशि जमा की जाएगी। रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि यह राशि धीरे-धीरे बढ़ाकर 3000 रुपये प्रति माह तक पहुंचेगी।
इस योजना के कार्यान्वयन से ना सिर्फ महिलाओं और उन पर निर्भर बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति में सुधार दिखाई देगा, बल्कि महिलाएं अपनी प्राथमिकता के मुताबिक खर्च करने के लिए आर्थिक रूप से पहले से अधिक स्वतंत्र बनेंगी। महिलाएं स्वरोजगार करनेके साथ उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर आजीविका के साधन जुटाएंगी। पारिवारिक स्तर पर निर्णय लेने की क्षमता भी उनकी बढ़ सकेगी।
एसबीआई रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में कुल पात्र महिलाएं 1.25 करोड़ हैं। इसमें कहा गया है कि इस योजना के तहत सरकार ने 2,418 करोड़ रुपये वितरित किये हैं और इसके और बढ़ने की उम्मीद है। एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि लाडली बहना योजना ने 2023 के विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं द्वारा किए गए मतदान में उल्लेखनीय वृद्धि की। लाडली बहना के कारण पूरे मध्य प्रदेश में चुनाव में जिलेवार महत्वपूर्ण सफलता दर प्राप्त हुई है। वहीं हाशिए पर रहने वाली चार में से लगभग तीन महिलाओं ने मौजूदा पार्टी को वोट दिया है।
लाडली बहना योजना के माध्यम से हाशिए की महिलाओं की सबसे अधिक महिला सशक्तिकरण वाले तीन जिले पन्ना, विदिशा और दमोह में परिणामस्वरुप जिले के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लाडली बहना योजना के जरिए हाशिए पर रहने वाली महिलाओं की सबसे अधिक महिला सशक्तिकरण वाले शीर्ष 10 जिलों में बालाघाट को छोड़कर कम से कम 50% निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल हुई है। एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2029 के बाद से महिला मतदाता पुरुषों से आगे निकल जाएंगी और 2024 में लगभग बराबर हो जाएंगी।
रिपोर्ट के अनुसार 2024 में मतदान की वर्तमान दर पर कुल मतदाता मतदान 68 करोड़ तक हो सकती है, जिसमें महिला मतदाता 33 करोड़/49% होने का अनुमान है। हमारा अनुमान है कि 2029 में मतदान की वर्तमान दर पर कुल मतदाता मतदान 73 करोड़ तक पहुंच सकता है। करोड़ों, जिनमें से 37 करोड़ महिला मतदाता पंजीकृत पुरुष मतदाताओं 36 करोड़/>50% पंजीकृत मतदाताओं से आगे निकल सकती हैं… विभक्ति बिंदु महिलाओं को सामाजिक-आर्थिक मोर्चों पर उनका उचित हिस्सा मिलने का प्रमाण होगा।
एसबीआई की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लाडली बहना से परे मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था ने पिछले दशक में अच्छा प्रदर्शन किया है। रिपोर्ट की मानें तो मध्यप्रदेश में ऋण की दशकीय वृद्धि (FY23-FY13) कृषि, उद्योग के साथ-साथ खुदरा क्षेत्रों में अखिल भारतीय वृद्धि से अधिक है, MP में कृषि ऋण के साथ FY23 में समग्र भारत के कृषि ऋण में 5.4% की उच्च हिस्सेदारी है। इसके अतिरिक्त, छोटा आधार होने के बावजूद, मप्र में निर्यात की दशकीय वृद्धि समग्र भारत की वृद्धि से अधिक है (वित्त वर्ष 2013-23 के दौरान 2 गुना, जबकि कुल मिलाकर भारत के निर्यात में 1.5 गुना की वृद्धि हुई है)।
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं और बच्चों का सशक्तिकरण और सुरक्षा जो भारत की आबादी का 67.7% हिस्सा हैं। एक सुरक्षित वातावरण में उनका संपूर्ण विकास सुनिश्चित करना देश के सतत और न्यायसंगत विकास और परिवर्तनकारी आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
इसमें कहा गया है कि सरकार द्वारा प्रायोजित सभी योजनाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ रही है। स्टैंड-अप इंडिया में महिलाओं की हिस्सेदारी 81%, मुद्रा ऋण में 68%, पीएमएसबीवाई में 37% और पीएमजेजेबीवाई में 27% है।