चंद्रयान-3 के ऐतिहासिक सफलता के बाद दुनिया भर की नजरें इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) पर टिकी हुई हैं. इसरो के वैज्ञानिक अब तक के सबसे कॉम्प्लेक्स टास्क गगनयान को सफल बनाने के लिए खुब लगन से काम रहें हैं. आपको बता दें कि गगनयान इसरो का अब तक का सबसे बड़ा और चैलेंजिंग मिशन है. इस मिशन में न सिर्फ भारतीय अंतरिक्ष यात्री को चांद पर पहुंचा सकेंगे बल्कि वहां कुछ दिनों तक समय बिताकर सुरक्षित वापस भी आएंगे.
‘मनोरमा ईयर बुक 2024’ किताब के एक लेख में इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने लिखा है कि “इसरो का लक्ष्य गगनयान कार्यक्रम के साथ अंतरिक्ष अन्वेषण में अगला कदम उठाना है, जिसमें 2 से 3 भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के एक दल को तीन दिन तक पृथ्वी की कक्षा (एलईओ) में भेजने की योजना है, जिसके बाद उन्हें भारतीय जल क्षेत्र में पूर्व निर्धारित जगह पर सुरक्षित रूप से उतारा जाएगा’’
क्या है ‘मनोरमा ईयर बुक 2024’
ये किताब एक वार्षिक किताब है जो हर साल मनोरमा समूह द्वारा छापी जाती है. ये किताब अंग्रेजी, हिंदी, मलयालम, तमिल और बंगाली यानी पांच अलग अलग संस्करणों में प्रकाशित की जाती है. इस साल इस ये 30 नवंबर को प्रकाशित हुई है.
2040 तक चांद पर पहुचेंगे भारतीय अतरिक्ष यात्री
इस किताब में इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने बताया है की ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ 2035 तक शुरू हो सकेगा. ये स्पेस स्टेशन कुल 20 टन का होगा और पृथ्वी से लगभग 400 किमी की दूरी पर रहेगा. इसके बाद 2040 में गगनयान मिशन की सफलता के बाद भारत भी चांद पर इंसानों को भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा. आपको बता दें कि अमेरिका, रूस और चीन ये तीन देश चांद पर इंसानों को भेजकर सफलतापुर्वक वापस बुला चुके हैं. गगनयान मिशन के कुल छोटे-बड़े टेस्टिंग की बात की जाए तो 12 स्टेप्स में टेस्ट होना है. जिनमें से 5 स्टेप्स पूरे हो चुके हैं. पांचवां टेस्ट का नाम “टेस्ट व्हीकल एबार्ट मिशन-1” है. ये टेस्ट हाल ही में 21 अक्टूबर 2023 को सफलतापूर्वक किया जा चुका है.
किताब में आदित्य एल 1 और चंद्रयान-3 का जिक्र
एस. सोमनाथ ने आदित्य एल 1 का जिक्र करते हुए लिखा है कि ये भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मिशन है. जनवरी 2024 में हेलो कक्षा में आदित्य एल1 लाग्रेंज पॉइंट -1 पर पहुंच कर सूर्य, चंद्रमा और सौर मंडल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी भेजेगा. इस किताब में उन्होंने चंद्रयान -3 मिशन की सफलता को बहुत बड़ी उपलब्धि बताया है. यही कारण है कि 23 अगस्त 2023 को यानी जिस दिन चन्द्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग हुई थी उस दिन को प्रधानमंत्री मोदी ने ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ ऐलान किया.