Article 370: ईश्वर और प्रकृति बेहद… कश्मीरी पंडितों पर क्या बोले जस्टिस कौल?

नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने सोमवार को कहा कि कश्मीरी पंडित समुदाय के बड़े पैमाने पर पलायन ने कश्मीर के मौलिक सांस्कृतिक परिदृश्य को बदल दिया है. उन्होंने कहा कि सीमा पार से बढ़ते कट्टरवाद के कारण तीन दशक बीत जाने के बाद भी इसमें कोई बदलाव नहीं आया है.

न्यायमूर्ति कौल प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने सर्वसम्मति से पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा. अपने अलग फैसले में, न्यायमूर्ति कौल ने कश्मीर के इतिहास का उल्लेख किया, जिसमें 1980 के दशक के ‘अशांत समय’ के साथ-साथ हाल के घटनाक्रम भी शामिल है.

न्यायमूर्ति कौल ने 121 पन्ने के सहमति वाले फैसले में कहा, “ईश्वर और प्रकृति कश्मीर के प्रति बहुत दयालु रहे हैं. दुर्भाग्य से, मानव प्रजाति इतनी विचारशील नहीं रही है. 1980 के दशक में कुछ कठिन समय देखा जो 1987 के चुनावों में चरम पर पहुंचा जिसमें आरोप और प्रत्यारोप देखने को मिले.” उन्होंने कहा कि सीमा पार से कट्टरवाद को बढ़ावा मिला है और 1971 में बांग्लादेश के निर्माण को भुलाया नहीं गया है.

न्यायमूर्ति कौल ने कहा, “बेरोजगार और निराश युवाओं को मिलिशिया के रूप में प्रशिक्षित किया गया और अराजकता पैदा करने के लिए कश्मीर में वापस भेज दिया गया. यह उन लोगों के लिए एक बड़ा बदलाव था, जो अपनी आस्था से परे शांति और सहिष्णुता के लिए जाने जाते थे. कश्मीरी शैववाद और इस्लामी सूफीवाद पर ऐसी उग्रवादी प्रवृत्तियों ने कब्जा कर लिया.”

उन्होंने कहा, “कश्मीरी पंडित समुदाय का बड़े पैमाने पर पलायन हुआ, उनके जीवन और संपत्ति को खतरा पैदा हो गया, जिससे कश्मीर के मौलिक सांस्कृतिक परिदृश्य में बदलाव आया. इस स्थिति में तीन दशक बीतने के बावजूद कोई बदलाव नहीं आया है.”

न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि यह ‘सीमा पार से सक्रिय समर्थन’ के साथ भारत के में एक छद्म युद्ध था. उन्होंने कहा, “निष्कर्ष यह है कि आज की 35 वर्ष या उससे कम उम्र की पीढ़ी ने विभिन्न समुदायों के सांस्कृतिक परिवेश को नहीं देखा है, जो कश्मीरी समाज का आधार था.”

उच्चतम न्यायालय ने सर्वसम्मति से पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के सरकार के फैसले को बरकरार रखते हुए सोमवार को कहा कि यथाशीघ्र राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए और अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.

Tags: Article 370, Jammu kashmir, Kashmiri Pandit, Supreme Court

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