बाबरी मस्जिद को आज के ही दिन 1992 में कारसेवकों द्वारा ढहाया गया था। अदालत में ये मालमा काफी लंबे समय तक चला है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण का फैसला सुनाया जिसके बाद अब राम मंदिर निर्माण का इंतजार हो रहा है।
नयी दिल्ली। पूरा देश अयोध्या में रामजन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर के निर्माण कार्य के पूरा होने का इतंजार कर रहा है। इसी बीच ये जानना जरुरी है कि अयोध्या में ही विवादित स्थल पर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया था। बाबरी मस्जिद को आज के ही दिन 1992 में कारसेवकों द्वारा ढहाया गया था। अदालत में ये मालमा काफी लंबे समय तक चला है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण का फैसला सुनाया जिसके बाद अब राम मंदिर निर्माण का इंतजार हो रहा है।
लगभग 32 वर्ष पहले उत्तर प्रदेश के अयोध्या में घटी यह घटना इतिहास में प्रमुखता के साथ दर्ज है। इस दौरान राम मंदिर की सांकेतिक नींव रखने के लिए उमड़ी भीड़ ने बाबरी मस्जिद ढहा दी थी। इससे देश के दो संप्रदायों के बीच पहले से मौजूद रंजिश की दरार बढ़कर खाई में बदल गई थी। इस घटना के बाद देश के कई इलाकों में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, जिनमें जान और माल का भारी नुकसान हुआ। वैसे तो 6 दिसंबर 1992 के दिन की शुरूआत साल के बाकी दिनों की तरह सामान्य ही थी, लेकिन भगवान राम की जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए सांकेतिक नींव रखने के इरादे से अयोध्या पहुंचे हजारों लोगों ने अचानक बाबरी मस्जिद के गुंबद गिराकर इस दिन को इतिहास में दर्ज करवा दिया।
बता दें कि मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने विवादित स्थान पर मस्जिद का निर्माण किया था। वहीं हिंदू समुदाय का दावा था कि ये भगवान राम की जन्मभूमि है, जहां एक मंदिर हुआ करता था। ये मामला कोर्ट में पहुंचा। कोर्ट के आदेश के बाद 1986 में इस विवादित स्थल को खोलने और पूजा करने की अनुमति दी गई। साथ ही आसपास के इलाके की सुरक्षा को भी बढ़ाया गया। लंबे अर्से तक इंतजार करने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। यहां भी मामले की सनवाई कई वर्षों तक चली। इसके बाद नौ नवंबर 2019 को ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया जिसमें कहा गया कि विवादित जमीन हिंदू पक्ष को सौंपी जाएगी। वहीं मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन दी जाएगी।
ये फैसला आने के बाद अयोध्या में काफी बदलाव आए। कई वर्षों तक विवादित ढांचा गिरने के बाद रामलला को मानस भवन के पास स्थित टाट के नीचे विराजमान कराया गया था। दुखद स्थिति थी की रामलला 6 दिसंबर 1992 के बाद से ही इस टेंट में विराजमान थे। इसके बाद वर्ष 2020 में उन्हें तंबू से बाहर लाया गया और बुलेटप्रूफ फाइबर के अस्थाई मंदिर में रखा गया। इसके बाद पांच अगस्त 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की नींव रखी।
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