विशाल झा/गाजियाबाद: कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला छठ महापर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन सूर्यदेव और षष्ठी मैया की उपासना की जाती है. छठ पर्व का यह व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि छठ का व्रत संतान प्राप्ति की कामना, कुशलता, सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु के लिए किया जाता है.
वैसे तो इस पर्व की झलक पूरे देश में मिल जाएगी, लेकिन मुख्य रूप से यह बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी यूपी में मनाया जाता है. छठ पर्व में पहले डूबते सूर्य को और फिर आज उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया. इस संबंध में पंडित पंकज झा ने बताया कि छठी माता और भगवान सूर्य की उपासना का यह दिन अत्यन्त पावन है.
सूर्य को उषा अर्घ्य देना भी जरूरी
इस पर्व में भगवान सूर्य को संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य देने का शास्त्र मत है. इससे व्यक्ति के जीवन में चमात्कारिक परिवर्तन आते हैं और भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. उन्होंने बताया कि जो लोग अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना करते हैं, उन्हें प्रातःकाल की उपासना भी जरूर करनी चाहिए, तभी पूजा सफल मानी जाती है.
विशेष लेजर शो की व्यवस्था
हिंडन घाट पर इस बाल नगर निगम की तरफ से विशेष लेजर शो की व्यवस्था देखने को मिली. शाम के समय रंग-बिरंगी रोशनियों से छठ घाट रौनकमय हुआ. इन लेजर शो के साथ बिहार का लोकगीत भी छठ घाट पर गुंजा. इस बीच हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान सूर्य को संध्या अर्ध्य दिया.
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FIRST PUBLISHED : November 20, 2023, 09:50 IST