कुंदन कुमार/गया : गया सेंट्रल जेल में बंद बंदियों की किस्मत बदलने वाली है. जेल से बाहर निकलने पर स्वरोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. इसके लिए पशुपालन सहित अन्य तरह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि वे बाहर निकलकर स्वरोगार से जुड़ सकें.
गया सेंट्रल जेल में कई तरह की ट्रेनिग दी जा रही है. जिससे कैदियों को हुनरमंद बनाया जा सके. फिलहाल 35 कैदियों को पशुपालन और वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन की ट्रेनिग दी जा रही है. पशुपालन स्वरोजगार का एक अच्छा साधन है और जेल से बाहर निकलने पर वे खेती किसान के साथ पशुपालन कर अच्छी कमाई कर सकते हैं.
कैदियों को मिलेगा खुद का स्वरोजगार
गया के सेंट्रल जेल में बंद कई कैदी ऐसे हैं, जिनकी सजा अवधि पूरी होने वाली है. जेल से बाहर निकलने के बाद इन्हें रोजी रोजगार के लिए ज्यादा परेशानी न उठानी पड़े और स्वरोजगार से जुड़ सके जेल प्रशासन उन्हें हुनरमंद बना रहा है. पीएनबी आरसेटी के माध्यम से कैदियों को 10 दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है. गाय पालन के अलावे वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन का प्रशिक्षण चल रहा है. यह प्रशिक्षण आने वाले दिनो में कैदियों को खुद का स्वरोजगार करने तथा सरकार के योजनाओ का लाभ उठाने में कारगर साबित हो सकता है.
जेल में बंद 35 कैदियों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण
इससे पहले गया सेंट्रल जेल के कई कैदियों को मशरूम उत्पादन के अलावे कई तरह के प्रशिक्षण दिए जा चुके हैं. इस प्रशिक्षण के बाद कैदियों को बकरीपालन, मोमबत्ती एवं अगरबत्ती निर्माण के प्रशिक्षण की भी योजना तैयार कि जा रही है. फिलहाल यह प्रशिक्षण 10 दिनों तक चलेगी.
गया पीएनबी आरसेटी के डायरेक्टर सुनिल कुमार जानकारी देते हुए बताते हैं कि जेल में बंद 35 कैदियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि जेल से निकलने के बाद अच्छे नागरिक बनकर स्वरोजगार से जुड़कर अपना खुद का व्यवसाय शुरु करें और आत्मनिर्भर बनें. इस प्रशिक्षण के बाद सरकार के विभिन्न योजनाओ में इसके सर्टिफिकेट को इस्तेमाल कर ऋण ले सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 19, 2023, 16:57 IST