परमजीत कुमार/देवघर. प्रकृति को समर्पित छठ महापर्व की शुरुआत जल्द होने वाली है. यह पर्व नहाय खाय से शुरू होकर चार दिनों तक चलता है. इसमें अर्घ्य का काफी महत्व है. इस महापर्व में सूर्य भगवान को अर्घ्य देने से सभी तरह की बीमारियों से छुटकारा मिलता है और घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है. इस पर्व में चढ़ाया जाने वाला प्रसाद भी इसे खास बनाता है. प्रसाद रूप में इन चीजों को शामिल नहीं करने पर पर्व सफल नहीं होता है. सूर्य देव और छठी मैया को अर्पित होने वाले प्रसाद को लेकर देवघर के ज्योतिषाचार्य से खास जानकारी दी.
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व की शुरुआत 17 नवंबर से होने जा रही है. पहला दिन नहाए खाए, दूसरा दिन खरना, तीसरा दिन ढलते सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पारन के बाद इसका समापन होगा. इस महापर्व में भगवान सूर्य और छठी मैया की उपासना की जाती है. इस महापर्व में छठी मैया को ठेकुआ सहित कई फल चढ़ाएं जाते हैं, जिससे माता प्रसन्न होती हैं.
ठेकुआ: छठ के प्रसाद की बात करें तो सबसे पहले ठेकुआ का नाम आता है. ठेकुआ को प्रसाद नहीं, बल्कि महाप्रसाद कहा जाता है. यह गुड़ और आटे का बनाया जाता है. छठ पूजा के इस प्रसाद को लोग मांग कर खाते हैं.
केलाः केला शुद्ध फल माना जाता है और छठ मैया को बेहद पसंद है. पके केले के साथ कच्चा केला भी छठ मैया को चढ़ाया जाता है.
डाभ नींबू: डाभ नींबू सामान्य नींबू से बड़ा होता है. छठ पूजा के प्रसाद के रूप में इस डाभ नींबू को भी चढ़ाया जाता है.
नारियलः माना जाता है कि बिना नारियल के छठ पूजा अधूरी मानी जाती है. जिस नारियल में पानी भरा हो, वही नारियल छठ पूजा में उपयोग किया जाता है. कई लोग नारियल से छठ पूजा में अपनी मन्नत भी मांगते हैं और मन्नत पूरी होने के बाद छठ मैया को नारियल अर्पण करते हैं.
गन्नाः गन्ना बेहद ही शुभ फल माना जाता है और छठी मैया को बेहद पसंद है. गन्ने के रस से ही गुड़ बनाया जाता है और उसी गुड़ को छठ पूजा में प्रसाद के रूप में उपयोग किया जाता है. इसलिए बिना गन्ने के छठ पूजा अधूरी मानी जाती है.
सिंघाड़ा: सिंघाड़ा पानी में रहने के कारण काफी शुद्ध माना जाता है. इस फल में काफी औषधीय गुण भी रहते हैं. छठ पूजा में सिंघाड़ा को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है.
सुपारीः सुपारी का काफी महत्व है. बिना सुपारी के किसी भी पूजा का संकल्प अधूरा माना जाता है, इसलिए छठ पूजा के प्रसाद में सुपारी रहना अनिवार्य है.
चावल के लड्डू: छठ पूजा के समय ही धान की कटाई होती है. ऐसे में नए धान के चावल के लड्डू बनाए जाते हैं. भगवान सूर्य, छठी मैया को अर्पण किया जाता है. उसके बाद ही घरों में नई फसल के चावल ग्रहण करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 14, 2023, 14:46 IST