कभी 4 लोगों ने उड़ाया था मजाक…अब वहीं से खरीद रहे रोहू, पढ़ें बब्बन की कहानी

दिलीप चौबे/कैमूर : अक्सर हमें सुनने को मिलता है कि खेती में अब कोई दम नहीं रह गया है. खेती करके बस किसी तरह गुजारा चल सकता है. कहने का मतलब यह है कि खेती से बस पेट भर सकता है, कमाई नहीं की जा सकती है. हालांकि यह बात पहले के दौर में कुछ हद तक सही था, लेकिन बदलते दौर के साथ-साथ खेती का ट्रेंड भी बदला है.

नई तकनीक और आईडिया के समावेशन से किसान अच्छी कमाई भी कर रहे हैं. आज हम कैमूर के एक ऐसे ही किसान के बारे में बताने जा रहे हैं जो मछली पालन कर बेहतर कमाई कर रहे हैं. यह किसान कैमूर जिला अंतर्गत भभुआ प्रखंड के रहने वाले अनिल कुमार पटेल उर्फ बब्बन सिंह हैं, जो फिलहाल 4 तालाब में मछली पालन कर रहे हैं.

बंगाल के साथियों से सीखा मछली पालन करने का तरीका


बब्बन सिंह ने बताया कि मछली पालन शुरू करने से पहले बंगाल के कुछ साथियों से मिला और उनसे प्रशिक्षण लेकर गांव में तालाब खुदवाया. एक-एक कर दो एकड़ में चार तालाब खुदवाया. उन्होंने बताया कि जब तालाब खुदवा रहे थे तो तो लोग काफी भला-बुरा बोले. कुछ लोगों ने तो नहीं खुदवाने की बात कही और गांव में कुछ ऐसे भी लोग थे जो मुझ पर हंस रहे थे.

अभी 2 एकड़ में कुल 4 तालाब है. जिसमें बंगाल से लाकर 9 से 10 क्विंटल मछली का बीज डाला है. जब मछली तैयार हो जाता है तो उसकी बाजार में बिक्री करते हैं. तालाब पर आस-पास के लोगों के अलावा बाहर से भी लोग आकर पिकअप से मछली ले जाते हैं.

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रोहू और भकुरा मछली को तैयार होने में एक वर्ष का लगता है समय

बब्बन सिंह ने बताया कि मछली को खिलाने के लिए तालब में दाना और मकई और बाजरे से बने खल्ली का इस्तेमाल करते हैं. जो बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाता है. अभी इजरायली रोहू, ग्रासकाट, सिल्वर, भकुरा (कतला), नयनी, कमल काट आदि मछलियों का पालन कर रहे हैं. इसमें रोहू, भकुरा को तैयार होने में एक वर्ष का समय लग जाता है जबकि पुराने जीरा (बच्चा) महज 6 महीने में तैयार हो जाता है. वहीं सिल्वर और बिझट को तैयार होने में महज 3 से 4 महीने हीं लगता है.

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मछली पालन से सालाना 4 से 5 लाख की हो जाती है कमाई

बब्बन सिंह ने बताया कि वर्तमान रोहू की कीमत 250 रुपए किलो है. जबकि सिल्वर 200, बिझट 240, ग्रास काट और भकुरा का 250 रुपए प्रति किलो है. बड़े व्यापारी 100 रुपए किलो के हिसाब से लेकर जाते हैं. एक बार के हार्वेस्टिंग में लगभग 40 क्विंटल से अधिक मछली निकलता है. साल में लगभग 4 से 5 लाख रुपए की कमाई हो रही है. उन्होंने बताया मछली पालन करने के लिए सरकार की तरफ से 40 से 50 फीसदी तक का अनुदान दिया जाता है, लेकिन अनुदान लेने की क्या प्रक्रिया हैं इसकी जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है.

Tags: Bihar News, Kaimur

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