केले की खेती ने बदली किसान की किस्मत, बेटे को पढ़ाकर रेलवे में नौकरी दिलाई, इतनी हो रही कमाई

भास्कर ठाकुर/सीतामढ़ी. केले की खेती के लिए देश में बिहार की अपनी एक अलग पहचान है. खासकर वैशाली का हाजीपुर और भागलपुर का नवगछिया केला उत्पादन के मामले में अग्रणी है. हालांकि केले की खेती का दायरा बढ़ता जा रहा है और बिहार के अन्य जिलों में इसकी खेती होने लगी है. सीतामढ़ी में अभी किस कला की खेती करना प्रारंभ कर दिया है.

इसी कड़ी में सीतामढ़ी जिला के कचहरीपुर गांव के रहने वाले किशन लाल बाबू साह 10 कट्ठे में केला की खेती कर रहे हैं. इस सालाना 5 लाख की आमदनी हो जा रही है. लाल बाबू सन खेती किसानी करके ही अपने दो बेटों को पटना में पढ़ा रहे हैं. जिसमें बड़े पुत्र का रेलवे में नौकरी लग चुका है जबकि छोटा पुत्र अभी पटना में रहकर ही तैयारी कर रहा है.

ससुराल से मिला केला की खेती का आइडिया

लाल बाबू साह ने बताया कि ससुराल में बड़े पैमाने पर केले की खेती होती थी. उन्हें साला ने केला की खेती करने की सलाह दी. उनकी बातों को मानकर 10 कट्ठे में केले की खेती प्रारंभ की. केले की खेती ने हीं सफल किसान बना दिया.

उन्होंने बताया कि अभी अल्पान, बरहरी और जी-9 वैरायटी के केले का खेती कर रहे है. जिसमें अल्पान क्रॉस ब्रीड है जो सब्जी बनाने में उपयोग होता है. उन्होंने बताया कि केला के एक घवद की कीमतकीमत बाजार में 300 रुपए है. वहीं 40 से 50 रुपए प्रति दर्जन के हिसाब से बिकता है. हालांकि केला की कीमत बाजार पर भी निर्भर करता है.

सालाना पांच लाख तक की हो रही है कमाई

लाल बाबू साह ने बताया कि केला खेती से सालाना 5 लाख तक की कमाई हो जाती है. उन्होंने बताया कि केला की खेत के साथ-साथ परंपरागत फसलों का भी उत्पादन करते हैं. खेती-बाड़ी के जरिए ही दो बेटों को पटना में पढ़ा रहे हैं. जिसमें बड़े बेटे का रेलवे में नौकरी लग चुका है जबकि छोटा अभी तैयारी कर रहा है. उन्होंने बताया कि मेहनत की कमाई से बच्चों को पढ़ा रहे थे. इसलिए मन में विश्वास था कि बच्चे कुछ ना कुछ जरूर बेहतर करेंगे.

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