चेन्नई. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने अपनी आत्मकथा ‘निलावु कुदिचा सिम्हंगल’ (द लायंस दैट ड्रंक द मून) में चंद्रयान-2 मिशन के कामयाब नहीं होने के पीछे एक नहीं, दो नहीं, बल्कि पांच कारण गिनाएं है. सोमनाथ ने स्वीकार भी किया है कि उन्होंने अपनी पुस्तक में चंद्रयान-2 मिशन की विफलता की घोषणा के संबंध में स्पष्टता की कमी का उल्लेख किया है.
सोमनाथ ने अपनी किताब में कहा है कि चंद्रयान-2 की असफल लैंडिंग के पीछे सॉफ्टवेयर की एक खामी को नहीं बताने की जगह इसरो चेयरमैन रहे के. सिवन ने यह ऐलान कर दिया था कि लैंडर के साथ संपर्क स्थापित नहीं किया जा सका. इस किताब में एस. सोमनाथ ने कथित तौर पर इसरो के अध्यक्ष रहे के. सिवन को लेकर भी कई अहम खुलासे किए हैं.
मनोरमा मीडिया संस्थान ने किताब के हवाले से कहा, सोमनाथ का कहना है कि जांच कमेटी को चंद्रयान-2 मिशन की विफलता के पांच मुख्य कारण मिले थे. सॉफ़्टवेयर त्रुटियों और इंजन की इलेक्ट्रॉनिक्स असेंबली में खराबी के कारण समस्याएँ पैदा हुईं. गलत एल्गोरिदम के कारण इंजन का जोर अपेक्षा से अधिक था. इसरो चीफ ने अपनी आत्मकथा में लिखा, “उपग्रह की यॉविंग गति को कम करना और एक विशेष स्थान पर उतरने का आदेश देना विनाशकारी साबित हुआ. कई जरूरी जांचें भी नहीं हुईं. हालांकि, इन निष्कर्षों ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता में योगदान दिया.”
कहा जाता है कि सोमनाथ ने अपनी आत्मकथा ‘निलावु कुदिचा सिम्हंगल’ में उल्लेख किया है कि इसरो अध्यक्ष बनने के बाद डॉ. के. शिवन ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक के रूप में डॉ. सोमनाथ की पदोन्नति में देरी की थी. सोमनाथ के अनुसार, वीएसएससी के पूर्व निदेशक बी.एन. सुरेश के हस्तक्षेप के बाद ही उन्हें पदोन्नत किया गया.
न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, सोमनाथ ने अपनी आत्मकथा में कहा है कि उन्हें (सोमनाथ को) इसरो अध्यक्ष बनने से रोकने के लिए यू.आर. राव अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक को अंतरिक्ष आयोग का सदस्य बनाया गया था. इसके साथ ही उन्होंने अपनी किताब में यह भी कहा कि डॉ. शिवन अपने विस्तार के लिए भी प्रयास कर रहे थे.
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FIRST PUBLISHED : November 4, 2023, 22:07 IST