Qatar Death Row: कतर की कैद में बंद भारतीयों की रिहाई का रास्ता अगले महीने UAE में होने वाली जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन बैठक में निकल सकता है. एक व दो दिसम्बर को होने वाली इस बैठक के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर बक अमीर तमीम बिन हमाद अल थानी के बीच मुलाकात मुमकिन है. इस मुलाकात से उन 8 पूर्व भारतीय नौसैनिक अधिकारियों के परिवारों में उम्मीद की किरण जगी है, जिन्हें कतर की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई है.
इन पीड़ित परिवारों ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे इन लोगों की रिहाई के लिए व्यक्तिगत हस्तक्षेप करें. 26 अक्टूबर को कतर की अदालत ने आठ पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई है. ये सभी एक निजी कंपनी के लिए काम कर रहे थे. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि उन्हें कतर की अदालत के फैसले से गहरा झटका लगा है और सभी कानूनी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है.
बता दें कि आठ भारतीय नागरिकों के खिलाफ आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया गया है. लेकिन मीडिया रिपोर्टों के अनुसार उन्हें वर्गीकृत जानकारी किसी तीसरे देश को देने के संदेह में हिरासत में लिया गया था. कतर की अदालत ने जिन पूर्व नौसैनिक अधिकारियों को सजा सुनाई है, वे पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमोडोर अमित नागपाल, कमोडोर सुगुनाकर पकाला, कमोडोर संजीव गुप्ता और नाविक रागेश हैं.
इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कतर में मौत की सजा पाए आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों के परिवारों से मुलाकात की थी. उन्होंने कहा था कि भारत उनकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास करना जारी रखेगा.
विदेश मंत्रालय ने पहले कहा था कि वह फैसले से स्तब्ध है और इस मुद्दे को कतर के अधिकारियों के समक्ष उठाएगा. मंत्रालय ने कहा था कि मौत की सजा के फैसले से हम गहरे सदमे में हैं और विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं. हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं और हम सभी कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं.