अपराध के गढ़ को बनाया रोजगार की फैक्ट्री! पढ़ें हाईवे वाली चाची सुलेखा की कहानी

मनीष कुमार/कटिहार. अगर आप NH-31 कटिहार के समेली होकर दिल्ली-गुवाहाटी सड़क मार्ग से यात्रा कर रहे हैं, तो कटिहार के समेली चौक पर स्थित “हाईवे वाली चाची पेड़ा भंडार” वाले दुकान का बोर्ड आपको आकर्षित कर सकता है. अगर आप इस दुकान के पेड़ा का स्वाद चख लिए तो यकीन मानिए, आप यहां के पेड़ा के दीवाना हो जाएंगे. इससे आगे इस पेड़ा भंडार के संचालन करने वाली सुलेखा देवी की कहानी भी बेहद प्रेरक है. यह सुदूर इलाका कभी दियारा से जुड़ा हुआ था. अपराध का गढ़ माना जाता था, लेकिन उस दौड़ में एक सुदूर गांव की महिला ने माथे पर टोकरी लेकर पेड़ा एवं दही बेचकर रोजगार शुरू किया.

चाची की ही दुकान से इस चौक की हुई शुरुआत
आज उनके पास जो दुकान है, उससे उन्होंने प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से लगभग 50 से अधिक लोगों को रोजगार दिया हुआ है. लोग इस दुकान को इस इलाके की रोजगार की फैक्ट्री भी कहते हैं. बड़ी बात यह है कि इस इलाके में एकमात्र चाची की ही दुकान से इस चौक की शुरुआत हुई थी. अब इस चौक में लगभग 45 से 50 दुकान हैं. हाईवे वाली चाची के नाम से मशहूर सुलेखा देवी कहती है की उचित दामों में अच्छे क्वालिटी और स्वाद वाला पेड़ा बेच कर उनकी एक अलग पहचान बना हुआ है, इसलिए दूर-दूर से इस सड़क होकर सफर करने वाले लोग रुक कर पेड़ा की खरीदारी करते हैं.

दियारा इलाके की कई महिलाएं चाची के नक्शे कदम पर
हाईवे वाली चाची के नाम से मशहूर सुलेखा देवी की इस प्रेरक कहानी के बारे में जानकारी रखने वाले ग्रामीण सुमन शर्मा भी कहते हैं कि सच में चाचा की कहानी बेहद ही निराली है. इसमें पेड़ा की शुद्धता की तरह कोई मिलावट नहीं है, इसलिए अब इस दियारा इलाके की कई महिलाएं चाची के नक्शे का दम पर चलकर खुद आत्मनिर्भर बनना चाहती है.

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हाईवे वाली चाची के पेड़ा भंडार में रोजाना एक क्विंटल से भी अधिक पेड़ा की बिक्री होती है. प्रति किलो यहां 350 रुपए पेड़ा ग्राहकों को दिए जाता हैं. वही बता दे की कोयला की आग में दूध को जलाकर पेड़ा तैयार किया जाता है, जो दूर-दूर तक काफी फेमस है.

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