रजत भट्ट/गोरखपुरःकुलपति प्रो. पूनम टंडन के निर्देश पर गठित टीम ऐसे अनेक कोर्स को भी तैयार कर रही है. जिससे विद्यार्थी प्रत्येक सेमेस्टर में अपने मुख्य विषयों की पढ़ाई करते हुए अपनी क्षमता बढा सकेगे. गठित टीम अब 12 ऐसे कोर्सेज को सूचीबद्ध कर चुकी है. जिसमें भाषा ज्ञान, कंप्यूटर कौशल, सॉफ्टवेयर ज्ञान, वित्तीय प्रबंधन,संगीत, रंगकर्म, ऑर्गेनिक फार्मिंग, अनुवाद कला, लैब मैनेजमेंट, काउंसलिंग, फोटोग्राफी, सोशल मीडिया मार्केटिंग जैसे विविधतापूर्ण और रोजगारपरक कोर्स शामिल हैं.
इसके अलावा UG पूरा करते हुए विद्यार्थी नाथ पंथ, पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार एवं दर्शन सहित भारतीय ज्ञान परंपरा,संवैधानिक मूल्य और मूल अधिकारों, डिजिटल सशक्तिकरण, आपदा प्रबंधन, साइबर सिक्योरिटी, नगर नियोजन जैसे विषयों में भी आसानी से दक्षता हासिल कर सकेंगे.
टेंडम् सोलर सेल पर होगा शोध
DDUG गोरखपुर के भौतिकी विभाग के प्रो डॉ विनीत कुमार सिंह को, उत्तर प्रदेश काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी से टेंडम् सोलर सेल पर शोध कार्य के लिये 13.36 लाख रुपए का प्रोजेक्ट मिला है. इस प्रोजेक्ट से विनीत कुमार सिंह और उनके टीम लगभग 30% क्षमता का टेंडम सोलर सेल विकसित करेंगे. डॉ विनीत गोरखपुर विश्वविद्यालय में नियुक्त होने के पहले भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलौर में 5 वर्षों तक सोलर सेल के फैब्रिकेशन पर कार्य कर चुके हैं. इस प्रोजेक्ट कार्य को अगले तीन वर्षों में पुरा करना होगा. इसे पुरा करने के लिये एक जूनियर रिसर्च असिस्टेंट अपॉइंटमेंट किया जायेगा. जिसे 25000 की मासिक फेलोशिप दि जायेगी कुलपति प्रो पूनम टंडन ने डॉ विनीत को शुभकामनाएं दी हैं.
DDU मे तीन पटेंटों का प्रकाशन
DDUG के भूगोल विभाग के डॉ अंकित सिंह ने अपनी सहकर्मी डॉतीन पटेंटों का प्रकाशन रुचिका सिंह,शोध छात्रा अंजलि शुक्ला एवं शोध छात्र अनुराग गुप्ता के साथ तीन पटेंटों का प्रकाशन किया है. भारत की GDP में कृषि और पर्यटन क्षेत्र का योगदान 25% से अधिक है. ऐसे में भारत में कृषि और पर्यटन को और अधिक विकसित करने की आवश्यकता है,जिसके दृष्टिगत पर्यटन परिपथ (टूरिज्म सर्किट),कृषि-पर्यटन की अपार संभावना भारत में और विशेषकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्याप्त है. इसी के आलोक में गोरखपुर विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के डॉ अंकित सिंह,डॉ रुचिका सिंह तथा उनके शोधकर्ताओं के तीन पेटेंट प्रकाशित हुए हैं. जिनमें दो पर्यटन परिपथ (सर्किट) से और तीसरा कृषि पर्यटन से संबंधित है.
तीव्र गति से हो रहा कृषि पर्यटन का विकास
पहला अतुल्य परिपथ है जो गोरखपुर,वाराणसी,मिर्जापुर (विंध्याचल ),प्रयागराज,अयोध्या और लुंबिनी को जोड़ता है. यह परिपथ इस रूप में विशेष है की भारत में अधिकांश परिपथ किसी एक देवता ,महापुरुष, संत,या पर्यटन के किसी एक आयाम से ही जुड़े हैं. वही दूसरा पर्यटन परिपथ,सद्भावना परिपथ है जो ऐसे महापुरषों और संतो से संबंधित है. जिन्होंने संसार को एकता और भाईचारा का संदेश दिया. तथा समूचे विश्व को वसुधैव कुटुंबकम की विचारधारा से अवगत कराया. तीसरा पेटेंट,भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के संपोषणीय विकास के संबंध में कृषि पर्यटन (एग्रो-टूरिज्म) के नवीन अवधारणा को प्रस्तुत करता है. ग्रामीण पर्यटन के एक नवीन आयाम के रूप में कृषि पर्यटन का विकास तीव्र गति से हो रहा है जिसके केंद्र में कृषि एवं कृषक हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 31, 2023, 22:52 IST