लखेश्वर यादव/जांजगीर चांपा: करवा चौथ एक हिन्दू त्योहार है जो विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के बीच प्रियंका व्रत के रूप में मनाया जाता है. यह त्योहार पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना में पत्नियों द्वारा मनाया जाता है. पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाएं करवाचौथ का व्रत करती हैं. इस साल करवाचौथ का निर्जला व्रत 01 नवंबर को बुधवार के दिन रखा जाएगा. इस दिन करवा चौथ का व्रत पूरी विधि-विधान के साथ देशभर में मनाया जाएगा. ऐसी मान्यता है कि करवाचौथ व्रत रखने से पति के जीवन में किसी भी तरह के कष्ट नहीं आते हैं. महिलाएं करवा चौथ की शाम चांद देखने के बाद उपवास खोलती है, उसके बाद ही महिलायें व्रत का पारण (भोग ग्रहण) करती है. जो महिलाएं करवाचौथ का व्रत व्रत पहली बार रखेंगी, उनके लिए पण्डित बसंत तिवारी नें करवा चौथ का व्रत, पूजन विधि के बारे में बताया है.
पूजा में पानी, थाली, मिट्टी का दीपक, चांदी का कटोरा, गंगाजल, मिठाई, चांदी की थाली, और चांदी के कलश शामिल होते हैं. इसके बाद, चांदनी को देखते हुए पूजा की जाती है और अपने पति की लंबी आयु और खुशियाँ की कामना की जाती है. इस दिन, सभी युवतियाँ सुबह से रविवार को उठकर भोजन करती हैं, इसे सरगी कहा जाता है. व्रत के दौरान, नहाने और सुखमेवा जैसी पारंपरिक सामग्री का उपयोग किया जाता है.
करवा चौथ का पर्व चौथे दिन की चांदनी को देखकर प्रारंभ होता है. महिलाएं भोजन और पानी का व्रत रखती हैं और सूर्यास्त के समय पूजा अर्चना करती हैं. इस दिन उन्हें पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. करवा चौथ पूजा के संबंध में जांजगीर के पुजारी पण्डित बसंत तिवारी ने बताया कि सुहागिन महिलाएं, इस दिन पति को दीर्घायु के लिए दिनभर निर्जला व्रत (बिना अन्न जल ग्रहण किए हुए) रहकर, करवा चौथ का व्रत रखती हैं और रात 8- 9 बजे चंद्रोदय के बाद चंद्रमा की पूजा करके, अर्घ्य देकर व्रत खोलती है. इस व्रत में भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा की पूजा-आराधना की जाती है.
करवा चौथ के पूजन की विधि
पण्डित बसंत तिवारी ने बताया कि करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करें और व्रती महिलाएं व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पूरे दिन निर्जला व्रत रख शाम को चंद्रमा के उदय होने पर तुलसी माता के समीप गौरी गणपति, भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा का पूजन करती हैं. चंद्रमा की पूजा कर 7 बार गोल घूमकर अर्घ्य दिया जाता है. विधि-विधान से पूजन करने के बाद करवाचौथ की कथा सुने और स्वयं वाचन कर सकते है. पूजा करने के बाद महिलाएं अपने पति के चेहरे को देखने के बाद निर्जला व्रत का पारण करती है. करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्त्व रखता है और यह उनके पतिव्रता, प्रेम और साझेदारी का प्रतीक होता है.
करवा चौथ शुभ मुहूर्त
करवा चौथ व्रत समय: सुबह 6:36 से रात 8:26 तक
करवा चौथ पूजा मुहूर्त: शाम 5.44 से रात 7.02 (1 नवंबर 2023) तक
चांद निकलने का समय: रात 8:26 (1 नवंबर 2023)
.
Tags: Dharma Aastha, Karwachauth
FIRST PUBLISHED : October 30, 2023, 12:38 IST