तांत्रिक विधि से हुई थी यहां 11 शिवलिंग की स्थापना, जानें क्या है मान्यता

राजाराम मंडल/मधुबनी. बिहार के मधुबनी जिले के मंगरौनी गांव में एक अद्भुत श्री श्री 1108 एकादश रूद्र महादेव का मंदिर है, जो अपने आप में अलौकिक है. कहते हैं कि वर्षों पूर्व जब कांची पीठ के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती यहां आए थे, तो एक ही शक्ति वेदी पर भगवान शंकर के 11 अलौकिक रूप को देखकर भावविह्वल हो गए.

तब उन्होंने कहा था की इस तरह का मंदिर विश्व में एकमात्र है, जहां तांत्रिक विधि से शिव के ग्यारहों लिंग रूपों को स्थापित किया गया है. उनके जाने के चार वर्ष बाद 17 मई 2001 को जगन्नाथधाम के पीठाधीश्वर शंकराचार्य निश्छलानंद सरस्वती भी आए और शिवजी की पूजा-अर्चना की.

इस मंदिर में बदल जाता है शिव पूजन का मंत्र

मंदिर के पुजारी राजेश झा बताते हैं कि आमतौर पर शिव का पूजन मंत्र पांच अक्षर का ‘ॐ नमः शिवाय’ है, लेकिन इस मंदिर के संस्थापक तांत्रिक पंडित मुनीश्वर झा ने पांच अक्षर के मंत्र के स्थान पर ग्यारह अक्षर का मंत्र तैयार किया. ‘ॐ नमः शिवाय, ऊँ एकादश रूद्राय’. यह मंत्र सुनकर शंकराचार्य ने कहा कि आज यदि आदि गुरु शंकराचार्य रहते, तो वे भी यही मंत्र जपते. इस मंत्र का 100 बार जाप करने से 1200 जाप का फल मिलता है.

शिवलिंग को पंचामृत का लेप लगाने से दूर होती है तकलीफ

इस मंदिर की स्थापनासिद्ध तांत्रिक मुनीश्वर झा ने वर्ष 1953 में की थी. सभी शिवलिंग काले ग्रेनाइट पत्थर के हैं, जो दो सौ वर्षों से अधिक पुराने हैं. प्रत्येक सोमवार की शाम को दूध, दही, घी, मधु, चंदन आदि से इन शिवलिंगों का स्नान एवं श्रृंगार होता है. सोमवार की शाम को यहां अद्भूत छटा देखने को मिलती है. कहा जाता है कि शिवलिंग को पंचामृत का लेप लगाने वाले की सभी शारीरिक तकलीफ दूर हो जाती है.

लालू प्रसाद, नीतीश कुमार, गिरिराज सिंह समेत कई बड़े नेता भी यहां बाबा का आशीर्वाद लेने आते रहते हैं. यहां विष्णु का दशावतार रूप, श्रीविद्या यंत्र, विष्णु पद गया क्षेत्र, महाकाल मंदिर,भगवान शिव-पार्वती की दुर्लभ मूर्त्ति, बसहा, महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती यंत्र एवं विष्णु पादुका, पंडित मुनीश्वर झा की समाधि,पीपल वृक्ष, आम-महुआ का आलिंगनवद्ध वृक्ष आदि भी है.

शिवलिंग में बनते रहती है आकृति

पुजारी राजेश झा की माने तोविगत 10 से 21 मई 2000 तक एक ही शक्तिवेदी पर स्थापित इन शिवलिंगों पर कई तरह की आकृति उभरने लगी. इन आकृतियों का बनना अभी भी जारी है. 30 जुलाई 2001 को अर्द्धनरीश्वरका रूप प्रकट हुआ. कामख्या माई का यह भव्य रूप है. उन्होंने बताया कि अबतक

महादेव का अर्द्धनारीश्वर रूप, गणेश जी,सिंहासन का चित्र, बजरंगवली का पहाड़ लेकर उड़ने वाली आकृति, श्रीकृष्ण का सुदर्शन चक्र, बांसुरी और बाजूबंध सांप एवं ऊँ का अक्षर,महादेव का राजराजेश्वरी रूप, पंचमुखी शिवलिंग, ओमकार और महाकाल की गदा,त्रिशूल,उमाशंकर की आकृति प्रकट हुई है.

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