शुभम मरमट/उज्जैन. बाबा महाकाल देश विदेश में महशूर हैं. यहां प्रतिदिन लाखों भक्तों का तांता लगा रहता है. खास बात यह है कि 28 अक्तूबर को होने वाले चंद्रग्रहण के दौरान भी महाकाल मंदिर खुला रहेगा. भक्त बाबा महाकाल के दर्शन बाहर से कर सकेंगे.
महायोगी महाकाल काल और मृत्यु से परे हैं. उन पर किसी भी प्रकार के ग्रह, नक्षत्र का प्रभाव नहीं पड़ता है. महाकाल मंदिर की परंपरा अनुसार, ग्रहण काल के समय भी गर्भगृह के पट खुले रहते हैं. भक्तों को बाहर से दर्शन होंगे. रात्रि में ग्रहण मोक्ष के बाद मंदिर को रात्रि में ही धोकर शुद्ध किया जाएगा. इसके बाद पुजारी पूजन व आरती करेंगे. इस वर्ष पूर्णिमा तिथि पर मध्य रात में खंडग्रास चंद्रग्रहण होने से वेधकाल शुरू होने के बाद मंदिरों की दर्शन व्यवस्था बदलेगी.
4:05 बजे से प्रारंभ होगा वेधकाल
28 अक्तूबर को दोपहर 4:05 बजे से वेधकाल प्रारंभ होगा. इस दौरान श्री महाकालेश्वर मंदिर में गर्भगृह में प्रवेश बंद रहेगा. वहीं भगवान का स्पर्श नहीं किया जाएगा. महाकाल मंदिर के पुजारी पं आशीष शर्मा ने बताया कि ग्रहण के वेधकाल के दौरान मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश नहीं होता है. इस दौरान भगवान को स्पर्श भी नहीं किया जाता है.
वैज्ञानिक प्रभाव को ऐसे समझें
ग्रहण के पहले ग्रहण का जो सूतक होता है जिसे वेधकाल कहा जाता है. यह वैधकाल 8 घंटे का रहेगा. 8 घंटे के सूतक के दौरान ब्रह्मचर्य को, गृहस्थी को जहां तक हो सके नियमों का पालन करना चाहिए.
18 वर्ष बाद बन रहा है ये ग्रहण
इस चंद्रग्रहण की हम बात करें तो यह ग्रहण मेष राशि के अश्विन पक्ष के चौथे चरण पर पड़ेगा. इसकी कुल अवधि 1 घंटे 19 मिनट है. मध्य रात्रि और अपर रात्रि का ये संधकाल रहेगा. ऐसी मान्यता है कि इस प्रकार के ग्रहों की स्थिति काफ़ी कम बनती है. क्योंकि अगर हम मास परियन्त गणना करें तो शरद पूर्णिमा पर कितने ग्रहण बने हैं. यदि हम ग्रह गणना करते हैं तो 18 वर्ष बाद यहां ग्रहण बन रहा है.
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FIRST PUBLISHED : October 26, 2023, 14:38 IST