भोपाल. मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly Election 2023) के लिए आचार संहिता के बाद अब पर्चा दाखिल (नामांकन) करने की शुरूआत हो चुकी है. पार्टियों ने भी उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. लेकिन, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख पार्टियों के नाराज कार्यकर्ता जबरदस्त गदर मचा रहे हैं.
पार्टियां भी असंतुष्ठों से निपटने की तरह-तरह की जुगत लगा रही हैं तो चुनाव लड़ने की ख्वाहिश रखने वाले कार्यकर्ता भी टिकट बदलने की मांग पर अड़ें हैं. इसी वजह से पर्दे के पीछे की सियासत भी रोचक हो गई है. बगावत से निपटने के लिए पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है.न्यूज18 हिंदी के खास कॉलम ‘अनकही राजनीति!’ में इन्हीं तौर-तरीकों को रोचक अंदाज में जानिए.
यह मेरा विषय नहीं है
एक कद्दावर सांसद भी विधानसभा चुनाव पार्टी के फरमान पर लड़ रहे हैं. अब थोड़ा फ्लेश बैक में चलते हैं. यह सांसद जी से मिलने जब भी कोई कार्यकर्ता या आम आदमी जाता था और काम बताता था तो इनका व्यवहार बहुत ही खराब होता था. चेहरे पर हमेश गुस्सा होता तो और काम सुनकर सीधे कह देते थे कि “आप विधायक जी से मिलिए या महापौर से मिलिए यह मेरा विषय नहीं है”. अब लौटकर वर्तमान में आते हैं. अब यह सांसद जी जहां भी अपने इलाके में वोट मांगने जा रहे हैं तो लोग इनका ही तकिया कलाम इन्हें सुना रहे हैं. लोगों ने दीवारों तक पर लिख दिया है यह मेरा विषय नहीं है.
सोशल मीडिया के कारण वापस मिल सकता है कटा टिकट
कांग्रेस ने भाजपा के एक पूर्व विधायक को अपनी पार्टी में यह कहकर शामिल कराया था कि उन्हें टिकट दिया जाएगा. लेकिन टिकट किसी अन्य नेता को दे दिया गया. ऐसे में पूर्व विधायक जी के समर्थक कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष जी के सामने विरोध करने पहुंच गए. विरोध ज्यादा होते देख प्रदेशाध्यक्ष जी नाराज हो गए और उन्होंने यहां तक कह दिया कि जाओ जाकर दिग्विजय और जयवर्धन के कपड़े फाड़ो. किसी ने यह बयान देते हुए मोबाइल से वीडिया बना लिया. भाजपा ने भी मुद्दा लपकते हुए इस पर जमकर हंगामा किया. वीडियो खूब वायरल हुआ. अब इसे सोशल मीडिया की ताकत ही कहेंगे कि इस वायरल वीडियो के दबाव में पूर्व विधायक जी को ही पार्टी टिकट देने जा रही है. यानी एक वायरल बयान ने पूर्व विधायक को कटी टिकट वापस दिला दी.
मंत्री जी टेंशन में हैं, पांच सौ के नोट दो हजार रुपए के कैसे हो गए
एक कद्दावर मंत्री जी का जादुई थैला इस समय चर्चाओं में बना हुआ है. थैले के चमत्कार से मंत्री जी खुद भी आश्चर्यचकित हैं. दरअसल मंत्री जी ने प्रधानमंत्री और खुद की फोटो लगे थैले छपवाकर अपने विधानसभा क्षेत्र में बंटवाए. इसमें उन्होंने पांच सौ रुपये के नोट भी रखने के निर्देश कार्यकर्ताओं को दिए. गलती से यह थैले कांग्रेस नेताओं के भी पहुंचे तो लेकिन खाली. अब कांग्रेस नेताओं ने सोचा खाली थैले की क्या शिकायत की जाए. उन्होंने एक कदम आगे बढ़ते हुए थैले में दो हजार रुपये मिलने की शिकायत निर्वाचन आयोग से कर दी. एफआईआर भी दर्ज हो गई. लेकिन मंत्री जी टेंशन में हैं कि उन्होंने तो पांच सौ रुपए रखकर भेजे थे यह चार गुना बढ़कर दो हजार रुपए कैसे हो गए.
लौटकर बुद्धु घर को आए
विंध्य इलाके से विधायक रह चुके एक पंडित जी ने पिछले दिनों जोर-शोर से भाजपा ज्वॉइन की. इन्हें पार्टी ज्वॉइन कराने खुद मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष प्रदेश मुख्यालय पहुंचे. इनकी पत्नी भी विधायक रह चुकी है. करीब दो महीने के अंदर ही इन्होंने भाजपा छोड़कर फिर से कांग्रेस ज्वॉइन कर ली है. इन्होंने अपना इस्तीफा सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है. इसमें उन्होंने लिखा है कि भाजपा ने टिकट का आश्वासन देकर पार्टी ज्वॉइन कराई थी. लेकिन उनके स्थान पर किसी अन्य नेता को टिकट दे दिया गया है. इस छलकपट की राजनीति से नाराज होकर वे भाजपा छोड़कर वापस कांग्रेस में जा रहे हैं.
पुराने कारनामों की सीडी पड़ी भारी, भाजपा और कांग्रेस दोनों ने नहीं दिया टिकट
अलग पार्टी बनाने की बात करने वाले पंडित जी इस समय बेहद उलझन में हैं. इन्हे समझ नहीं आ रहा है करें तो क्या करें. इन्हें भाजपा ने फिर से टिकट देने से इनकार किया तो इन्होंने कांग्रेस की तरफ रुख किया. पूरी उम्मीद थी कि पुराने संबंधों के आधार पर कांग्रेस से टिकट मिल जाएगा. लेकिन किस्मत देखिए टिकट मिलना तो दूर पार्टी ने ज्वॉइन कराने तक से इनकार कर दिया. ऐसे में नेता जी दुखी मन से वापस लौट गए हैं. दरअसल कांग्रेस को डर सता रहा है कि यदि इन्हें पार्टी में ज्वॉइन कराया तो इनके पुराने कारनामों की सीडी बाहर न आ जाए.
महाराज के दबाव ने काम किया, मिल गई मंत्री जी को टिकट
वैसे सीडी से एक मंत्री जी भी बहुत परेशान हैं. फिलहाल सीडी तो बाहर नहीं आई है लेकिन कुछ स्क्रीनशॉट्स जरुर बाहर आ गए हैं. जिसके कारण इनकी टिकट फिलहाल होल्ड पर चली थी. अब यह महाराज के कट्टर समर्थक हैं तो महाराज का भी इनके लिए हर स्तर पर इनका साथ देना जरुरी है. यही वजह है कि इनके लिए महाराज ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. महाराज ने शीर्ष नेतृत्व तक को आश्वासन दिया है कि टिकट दिया गया तो पूरी ताकत लगाकर इन्हें जीत दिलवाकर विधानसभा तक पहुंचवाएंगे. उनके आश्वासन रंग लाया और केन्द्रीय नेतृत्व ने सॉफ्ट सिग्नल मंत्री जी के पक्ष में दे दिया.
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FIRST PUBLISHED : October 23, 2023, 07:01 IST