अशोक यादव/कुरूक्षेत्र. भारत देश में दशहरे का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले भी जलाए जाते हैं. इन पुतलों को बनाने के लिए दर्जनों कारीगर कई दिनों तक दिन-रात मेहनत करते हैं. कहा भी जाता है कि कला का कोई धर्म नहीं होता. इसे साबित भी कर रहे हैं शमा खान. जो मुस्लिम समुदाय से होते हुए भी पिछले 40 वर्षों से दशहरे पर पुतले बनाने का काम पूरी लग्न के साथ कर रहे हैं.
शमा खान का कहना है कि वे मुस्लिम समुदाय से संबंध रखते हैं और पिछले 40 वर्षों से कुरुक्षेत्र में रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले बनाने का काम कर रहे हैं. यह उनकी तीसरी पीढ़ी है. उससे पहले उनके पिता और दादा भी यही काम करते थे. शमा खान ने अपनी इस खानदानी कल को जिंदा रखा है.
शमा खान का कहना है कि जब पुतलों का दहन होता है तब उन्हें दुख होता है क्योंकि यह उनकी कई दिनों की मेहनत के परिणाम से बनते हैं. लेकिन वह यह सोचकर सब्र कर लेते हैं कि यही उनका रोजगार है. शमा खान ने बताया कि पुतले बनाने में 15 दिन की मेहनत लगती है और इन्हें बनाने में विशेष रूप से कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है. जैसे इसके लिए जो पेपर आता है वह विशेष रूप से पुतलों के लिए ही तैयार किया जाता है. जिसमें आग जल्दी पकड़ने की क्षमता होती है. ताकि पुतला पूरी तरह से जल सके. इसी के साथ इसमें लगने वाला बारूद भी ग्रीन बारूद होता है ताकि पर्यावरण को किसी प्रकार का नुकसान ना पहुंचे.
कुरुक्षेत्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है दशहरा
दशहरा कमेटी कुरुक्षेत्र के सदस्य फतेहचंद गांधी का कहना है कि जब से भारत देश आजाद हुआ तब से कुरुक्षेत्र में दशहरा उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है वह इस दौरान पुतला दहन भी किया जाता है. इन पुतलों में रावण को नहीं, बल्कि उनकी बुराई को जलाया जाता है. कुछ लोग इसका विरोध भी करते हैं और कहते हैं कि रावण एक विद्वान ब्राह्मण था जिसका पुतला जलाना उचित नहीं है.
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FIRST PUBLISHED : October 20, 2023, 15:28 IST