विक्रम कुमार झा/पूर्णिया. महाअष्टमी को माँ का खोइछा भरने की परंपरा है. इसको भरने के लिए इन चीजों की जरूरत होती है. पंडित मनोत्पल झा कहते हैं की दुर्गा अष्टमी को माता के खोइछा भरने का प्रावधान आज से नहीं बल्कि पौराणिक काल से चलता आ रहा है. उन्होंने कहा संतान सुख प्राप्ति के साथ हर तरह की मनवांछित फल प्राप्त करने के लिए खोइछा भरा जाता हैं. हालाँकि यह खोइछा संध्या काल में भरा जाता हैं. इसके लिए इन सामग्रियों का होना जरूरी है.
जानिए क्या है मान्यता
पंडित मनोत्पल झा कहते हैं खोइछा भरने की शुरू से है. लोग धर्म-कर्म, आस्था में जुड़ते गए और ईश्वर की कृपा मिलती गई. उन्होंने कहा कि इससे पहले लोग माता के सामने अपने आंचल फैला कर कुछ मांगते थे. कुछ पाने के लिए आंचल फैलाते थे. जैसे ही उसे माता की कृपा से फल प्राप्त हो जाता था, तब वह फिर पुनः अपना आंचल में लेकर कुछ आवश्यक सामान लेकर जाते थे और माता को श्रद्धा से अर्पण करते थे. उनसे प्रार्थना कर उन्हें शुक्रिया अदा करते हैं.
उन्होंने कहा खोइछा हमेशा अष्टमी की संध्या रात को भरा जाता है. इस दिन जागरण का होता है. जिसे देवी जागरण भी कहते हैं.
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खोइछा भरने में इन चीजों की है जरूरत
उन्होंने कहा सबसे पहले व्रती को अपने साथ पांच मिट्टी का दीपक अवश्य लेकर जाएं और उसे मंदिर में जरूर जलाये. जैसे धान, दुब्री, हल्दी का गांठ वाला, 5 पीस पान, 5 सुपारी और मिठाई और बताशा. साथ-साथ कुछ पैसा या द्रव और श्रृंगार का सामान मैया को चढ़ाया जाता है.
अगर आप विस्तृत रूप से करना चाहते हैं तो साड़ी, साया ,ब्लाउज सहित अन्य कई श्रृंगार सामग्री है. इसके साथ-साथ 5 पीस पान अवश्य होनी चाहिए. इन सभी सामग्रियों को एक चुनरी में बांधकर लें और अपने आंचल में ढक कर मंदिर ले जाये. मैया के दरबार में जाएं और वहां मौजूद दरबार में पंडित जी को देकर मैया के चरणों तक पहुंचाने की अर्जी लगा दें.
अष्टमी को देवी जागरण की पौराणिक महत्ता
पंडित जी कहते हैं कि बचपन से उन्होंने अपनी मां और कई महिलाओं को देखा है कि वह अष्टमी की रात को अरवा चावल को पीसकर पीठार बनाकर रात्रि जागरण में नए वस्त्र या अन्य कई सुख साधन के चीजों पर पत्थर छिड़क कर उन्हें जागृत करते हैं.
हालांकि पंडित जी ने कहा कि उन्हें अब तक सटीक कारण नहीं पता चला है, लेकिन उन्होंने कहा कि जो समाज के महिलाओं और बुजुर्गों से जानकारी ली तो पता चला कि जब मैया पूरी रात जागती है, तो हम लोग क्यों ना जागे और सभी चीजों को जगाएं . मान्यातााएं हैं कि ऐसा करने से सभी चीजें जागृत रहती हैं.
अष्टमी व्रत 22 अक्टूबर को है
उन्होंने कहा कि इस बार अष्टमी व्रत 22 अक्टूबर 2023 को है. इससे पहले सप्तमी को निशा पूजा है. उसमें निशा पूजा में मैया की पूरी तरह पूजा पाठ कर अष्टमी का भी जागरण कर माता की पूजा पाठ कर खोइछा भरे. निश्चित ही हर मनोकामना पूर्ण होगी.
इसके साथ-साथ अष्टमी का दिन, रात्रि जागरण का दिन है. हो सके तो उस दिन आप रात्रि जागरण करके मैया का पूजा, अर्चना-भजन कीजिए और मैया को अपने भक्ति की शक्ति से इतना प्रसन्न कर दीजिए कि वह आपको वरदान देने के लिए तत्पर हो जाए.
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संतान सुख, धन प्राप्ति के लिए भरा जाता खोइछा
हालांकि पंडित जी कहते हैं कि कई लोगों का यह कहना होता है कि उपवास नहीं करते, फलाहार नहीं करते हैं. या आप किसी कारण वश खाना भी खा लेती हैं तो भी आप खोइछा भर सकती हैं. उन्होंने कहा कि माता के प्रति श्रद्धा हो आप खाना खाने के बाद भी खोइछा भर सकते हैं. खोइछा भरने से आप अपनी सभी मनोकामना की प्राप्ति कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 20, 2023, 07:14 IST