कुंदन कुमार/गया. पितृपक्ष के 14वें दिन त्रयोदशी तिथि के शाम को विष्णुपद फल्गु नदी के किनारे देवघाट पर पितृ दीपावली मनाए जाने की परंपरा है. इस दौरान पितरों के लिए दीप जलाकर आतिशबाजी की जाती है. माना जाता है आज के दिन दीपदान करने से पितरों के स्वर्ग जाने का मार्ग प्रकाशमय हो जाता है.
देवघाट के अलावे श्रद्धालु सूर्य मंदिर के पास दीप जलाकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए कामना करते हैं. देश-विदेश से आये लोग अपने पितरों के लिए घी के दीये जलाते हैं, जिससे हजारों की संख्या में दीप जलने से पूरा देवघाट रोशनी से जगमग हो जाता है.
1 हजार, 500 या 108 दीप जलाने की है परंपरा
14वें दिन फल्गु नदी में स्नान करके दूध तर्पण करने का विधान है. इस दिन शाम यहां शाम को पितृ दीपावली मनायी जाती है. इसमें पितरों के लिए दीप जलाया जाता है और आतिशबाजी की जाती है. देश-विदेश से आये श्रद्धालु पितृ दीपावली मनाने के लिए फल्गु तट पर आते हैं.
उनके परिजन अपनी श्रद्धा के मुताबिक एक हजार, 500 या 108 दीप जलाकर पितरों के प्रति श्रद्धा अर्पित करते हैं. जिससे कि उन्हें यमलोक से सीधे स्वर्गलोक पहुंचाया जा सके उन्हें मोक्ष प्राप्ति हो सके.
मंदिर को 5 टन जूही, गुलाब, कमल, गेंदा के फूल से सजाया जाएगा
मान्यता के अनुसार आश्विन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को यमराज अपने लोक को खाली कर सभी को पृथ्वी लोक में भेज देते हैं. कहा जाता है कि सभी मनुष्य लोक पहुंच कर सभी प्रेत और पितर भूख से दुखी होकर अपने पापों के लिए माफी मांगते हैं. इसके अलावा अपने परिजनों से खीर खाने की कामना करते हैं. जिसके चलते ब्राह्मणों को खीर खिलाकर पितरों को मोक्ष दिलाया जाता है.
इसके अलावे इस दिन विष्णुपद मंदिर का विशेष ॠंगार किया जाता है और मंदिर को 5 टन जूही, गुलाब, कमल, गेंदा के फूल से सजाया जाएगा. सजावट के लिए कोलकाता से फूल मंगवाई जाती है. पूरे मंदिर क्षेत्र के सजावट के लिए 25 कारीगर आते है. मंदिर के गर्भगृह में महापूजा होगी और भगवान विष्णु को 56 प्रकार के भोग लगाए जांएगे.
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FIRST PUBLISHED : October 12, 2023, 06:01 IST