क्या है तुलादान?,कैसे और क्यों होता है, यहां जानें सबकुछ

अभिलाष मिश्रा/ इंदौर :इंदौर के लाल बाग परिसर में इन दिनों तुलादान किया जा रहा है.जहाँ दलिया, गुड़ और नमक से गाय को समर्पित तुलादान किया जा रहा है. सनातन धर्म में तुलादान का विशेष महत्व माना जाता है.  यह तुलादान इंदौर के लालबाग परिसर में चल रहे नौ दिवसीय गौ महोत्सव में किया जा रहा है. जहां बड़ी संख्या में लोग तुलादान करने के लिए पहुंच रहे हैं. स्वामी गोपालानंद सरस्वती ने कहा कि सनातन धर्म में तुला दान करने की परंपरा काफी प्राचीन है.

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार तुलादान करने से पापों का क्षय होता है और व्यक्ति के जीवन में भाग्य का उदय होता है. व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती है. उन्होंने  आगे कहा कि हमारे शरीर के हर भाग पर किसी ना किसी ग्रह का अधिकार होता है. तुलादान करने से सभी ग्रहों के निमित्त दान हो जाता है जिससे जिन-जिन ग्रहों के दोष आप पर होते हैं वह समाप्त हो जाते हैं.इससे स्वास्थ्य लाभ और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.गोपालानंद सरस्वती ने बताया कि सोलह महादानों में पहला महादान तुला दान या तुलापुरुष दान है.

पौराणिक काल से चली आ रही है परम्परा
तुलादान की परंपरा अत्यंत पौराणिक काल से चली आ रही है.सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण ने तुलादान किया था, उसके बाद राजा अम्बरीष, परशुरामजी, भक्त प्रह्लाद आदि ने भी तुलादान किया है.पुराणों में तुलादान को महादान कहा गया है और बताया गया है कि इससे विष्णुलोक की प्राप्ति होती है.पौराणिक काल में समृद्ध लोग सोना से तुलादान किया करते थे.

सभी देवी-देवताओं की कृपा हो जाती है प्राप्त
उन्होंने बताया कि गौ माता में 33 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है.शास्त्रों में लिखा है कि गाय को खिलाने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं.समस्त देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिए एकमात्र गौ माता की सेवा करना ही काफी माना जाता है.इसलिए जो भी व्यक्ति गौ माता के लिए तुलादान करता है उसे सभी देवी देवताओं की कृपा एक साथ प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में अभूतपूर्व आनंद का उदय होता है.

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