वर्ष 1997 में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के स्वात जिले में जन्मी मलाला को आज के दिन ही तालिबानियों ने गोलियों से भून दिया था। दरअसल बनाना का मैंने पढ़ाई लिखाई में लगता था। महज 11 वर्ष की उम्र में मलाला ने लड़कियों की पढ़ाई को लेकर आवाज उठाई।
भले ही कहा जाए कि महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर दुनिया में काम करने के साथ अपना नाम कर रही है। महिलाओं को दबाने के लिए आज भी कई तरह के कदम उठाए जाते है। महिलाओं की इच्छा और योग्यता होने के बावजूद कई क्षेत्र में उन्हें काम करने से रोक कर रखा जाता है। महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार को लेकर समय समय पर कई लोग आवाज उठाते रहे है।
ऐसा ही एक नाम है मलाला यूसुफजई, जो महिलाओं की मुखर आवाज बनकर उभरी है। मलाला एक ऐसा नाम है जिसे आज पूरी दुनिया में जाना जाता है। महिलाओं और बच्चों की शिक्षा के लिए आवाज उठाने वाली मलाला यूसुफजई नोबेल शांति पुरस्कार विजेता है। उन्होंने बच्चों और महिलाओं के अधिकार के लिए पुरजोर तरीके से आवाज उठाई थी। महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाने से लेकर नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने तक का उनका पूरा सफर बेहद खास लेकिन मुश्किलों भरा रहा है। मलाला यूसुफजई ने बेहद छोटी सी उम्र में वह कर दिखाया जो उम्रदराज लोगों के लिए करना भी नाममुमकिन सा था। 12 जुलाई को जन्मी मलाला यूसुफजई के जीवन में आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि आज ही के दिन ने उनकी पूरी जिंदगी बदल कर रख दी।
वर्ष 1997 में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के स्वात जिले में जन्मी मलाला को आज के दिन ही तालिबानियों ने गोलियों से भून दिया था। दरअसल बनाना का मैंने पढ़ाई लिखाई में लगता था। महज 11 वर्ष की उम्र में मलाला ने लड़कियों की पढ़ाई को लेकर आवाज उठाई। मलाला कई ब्लॉग्स लिखती थी, जिसमें तालिबानियों द्वारा हो रहे महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को उजागर करती थी। अपनी मुखर आवाज के कारण मलाला वर्ष 2012 में तालिबानियों के निशाने पर आ गई और तालिबानियों ने उन्हें सिर में गोली मार दी। इस हमले के बाद मलाला का जिंदा बचना किसी चमत्कार से कम नहीं है। हालांकि हमले के बाद मलाला जब ठीक हुई तो उन्होंने लड़कियों की शिक्षा को लेकर आवाज उठाई। हमले के दो साल के बाद मलाला ने अपनी बात यूनाइटेड नेशंस तक पहुंचाई और महिलाओं को शिक्षा को लेकर भाषण दिया, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हुई। इसके बार मलाला टाइम मैगजीन में 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल हुई। इसके बाद वर्ष 2014 में उन्हें सिर्फ 17 वर्ष की उम्र में नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया। नोबेल शांति पुरस्कार पानी वाली मलाला सबसे कम उम्र की सम्मानित व्यक्ति है।
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