भारत को विश्वगुरू बनाने के लिए आगे आए ब्राम्हण समाजः प्रो.संजय द्विवेदी

कानपुर। भारतीय जन संचार संस्थान के पूर्व महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी का कहना है कि देश को विश्वगुरू बनाने के लिए भारतीय ज्ञान परंपरा की पुर्नस्थापना आवश्यक है। इस कठिन उत्तरदायित्व को स्वीकार करने के लिए ब्राम्हण समाज को आगे आने की जरूरत है। वे कानपुर में कान्यकुब्ज मंच द्वारा अग्रसेन भवन, किदवई नगर में आयोजित आचार्य बालकृष्ण पाण्डेय की जन्मशती समारोह को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में कान्यकुब्ज ब्राम्हण समाज के विविध संगठनों के देश भर से आए पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के मुख्यअतिथि के राज्यसभा सदस्य डा. अशोक वाजपेयी रहे। इस मौके पर अनेक विभूतियों का सम्मान भी किया गया।

कार्यक्रम के अध्यक्ष की आसंदी से संबोधित करते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि पश्चिमी संस्कृति ने भारतीय परिवार व्यवस्था और संस्कृति पर गंभीर हमला किया है। इसके चलते हमारे पांव उखड़ रहे हैं। अगर हमारे पारिवारिक मूल्य नहीं बचेंगें तो भारत भी नहीं बचेगा। उन्होंने कहा कि दुनिया में हम आदर के पात्र इसलिए हैं क्योंकि हमारे पास एक सुविचारित परिवार व्यवस्था है। यह व्यवस्था ही हमारी संस्कृति का आधार है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में आज वृद्धाश्रम बन रहे हैं, पहले बच्चे अनाथ होते थे और अब माता-पिता अनाथ हैं। बृद्धाश्रम एक सड़ते हुए समाज का प्रतीक है । यह बात बता रही है कि हम किस तरह अपने पारिवारिक मूल्यों और जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ रहे हैं।

सांसद डा. अशोक वाजपेयी ने कहा कि कान्यकुब्ज मंच के माध्यम से जो शुरूआत 37 वर्ष पहले स्व. आचार्य बालकृष्ण पाण्डेय ने की थी,उसे आगे बढ़ाने की जरूरत है। हमें एकजुटता के साथ अपने समाज की कमियों को दूर करते हुए उसे सार्मथ्यशाली बनाना होगा। डा. वाजपेयी ने कहा कि दूसरों को कोसने के बजाए हम अपना आंकलन करें और नई राह बनाएं। कार्यक्रम का संचालन और संयोजन डा. आशुतोष पाण्डेय और ने किया।

इनका हुआ सम्मान…

इस अवसर अनेक विभूतियों को विविध क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।जिनमें साहित्य क्षेत्र के लिए डा. प्रेमशंकर त्रिपाठी(कोलकाता), समाजसेवा क्षेत्र के लिए डा.वंदना पाठक, डा. उमेश पालीवाल, लोकसंस्कृति क्षेत्र में योगदान के लिए डा. नीलिमा शुक्ला और डा. शैलजा शुक्ला को सम्मानित किया गया।

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *