पढ़े-लिखों को रास्ता दिखा रहा यह अनपढ़ किसान, पेड़-पौधों को करता है बच्चों की तरह प्यार

कासिम खान/मेवात: ‘मैं इंग्लिश मीडियम पढ़ा नहीं, कॉलेज में पेपर दिया नहीं, अब ऐसा पाठ पढ़ाऊंगा जो लोगों ने ना देखा, उसे मैं करके दिखाऊंगा’. यह कहना है 60 साल के अनपढ़ किसान नाजम का. शादी को 40 साल बीत चुके हैं, लेकिन कोई संतान नहीं हो पाई. इस किसान ने पेड़-पौधों को ही अपना बच्चा माना और वो कर दिखाया है जो पढ़े-लिखे किसान भी नहीं कर पाते.

इतना ही नहीं, नाजम को उनके सराहनीय कार्य के लिए कई कृषि संस्थानों से प्रशंसा पत्र भी दिया गया है. नाजम ने परंपरागत खेती के बजाय अत्याधुनिक खेती कर सबका ध्यान अपनी तरफ खींचने का प्रयास किया है. इसके चलते नाजम अनपढ़ होने के बावजूद मेवात इंजीनियरिंग कॉलेज पल्ला वक्फ बोर्ड में माली के पद पर कार्यरत हैं और पल्ला इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रांगण को खुशबूदार फूलों के पौधों से महकाने का काम कर रहे हैं.

नाजम ने उगाई 5 किलो की मूली, 5 किलो का शलगम
नाजम का जन्म 1 जनवरी 1963 को बीवां गांव में हुआ. शुरुआत में नाजम ने अपने माता-पिता से परंपरागत खेती सीखी और जवानी में ट्रक चालक बनकर तकरीबन 15 साल तक ट्रक चलाया. कुछ समय बीत जाने के बाद पेड़-पौधों के प्रति अपने प्रेम को देखते हुए नाजम ने पूसा इंस्टीट्यूट दिल्ली जाकर प्रशिक्षण लिया. वहां सब्जी, फूल, फल इत्यादि की नई-नई तकनीक के बारे में जानकारी जुटा नाजम खान सफेद मिर्च, गुलाबी भिंडी, चुकंदर, मूली, शलगम जैसी सब्जियां उगा चुके हैं. नाजम के यहां 5 किलो की मूली और 5 किलो का शलगम देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है.

नई तकनीक के बीज तैयार कर रहे नाजम
नाजम दिन-रात पेड़ों की सेवा में जुटे हैं. पेड़ों की सेवा के साथ-साथ नई-नई तकनीक के बीज भी तैयार कर रहे हैं. इस अनपढ़ किसान ने वो कर दिखाया है जो पढ़े-लिखे किसान भी नहीं कर पाते. कुल मिलाकर नाजम खान की दुनिया अब पेड़-पौधों तक सीमित रह गई है. नाजम अपनी पत्नी के साथ उम्र के आखिरी पड़ाव पर भी किसानों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं. जिस तरह माता-पिता बच्चों को पालते हैं, किसान नाजम पेड़ों को पालने में लगे हुए हैं.

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