जिनेवा. फुटबॉल की वैश्विक संस्था फीफा इस साल कतर में होने वाले वर्ल्ड कप में ‘ऑफ साइड’ फैसलों को बेहतर करने के लिए नई तकनीक शुरू करेगा जिसमें ‘लिंब-ट्रैकिंग कैमरा’ (पैर की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए) प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा. फीफा ने शुक्रवार को कहा कि वह ‘सेमी-ऑटोमेटिड ऑफसाइड’ तकनीक (एसएओटी) लांच करने के लिए तैयार है जिसमें कई कैमरे खिलाड़ी के मूवमेंट पर नजर रखते हैं.
इसके अलावा साथ ही गेंद में एक ‘सेंसर’ लगा होगा जिससे स्टेडियम की स्क्रीन पर तुरंत ही त्रि-आयामी छवियां दिखेंगी जिससे प्रशंसकों को रेफरी के फैसले को समझने में मदद मिलेगी. यह लगातार तीसरा विश्व कप होगा जिसमें फीफा ने रेफरी की मदद के लिए नई तकनीक शुरू की है.
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ब्राजील में 2014 टूर्नामेंट के लिये ‘गोल लाइन’ तकनीक तैयार की गई थी क्योंकि 2010 में कई रैफरी ने काफी गलतियां की थीं. फिर 2018 में वीडियो ‘रिव्यू’ लाया गया जिससे कई मौकों पर रैफरी को मैच का रुख बदलने वाली घटनाओं पर फैसला करने में मदद मिली थी.
इस नई ‘ऑफ साइड’ प्रणाली में वीडियो सहायक रैफरी (वीएआर) प्रणाली की तुलना में बेहद सटीक और जल्दी फैसला आएगा. हालांकि 2018 विश्व कप में ऑफसाइड की बड़ी गलतियां नहीं हुई थीं. फीफा के ‘रैफरिंग’ कार्यक्रम की अगुआई करने वाले और तकनीक पूर्व युग में 2002 वर्ल्ड कप फाइनल में काम कर चुके पिएरलुईजी कोलिना ने कहा, ‘ये उपकरण काफी सटीक है, इसमें शायद और सुधार हो सकता है.’
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FIRST PUBLISHED : July 1, 2022, 15:26 IST