Thank You For Coming Movie Review : एक्टिंग बढ़िया लेकिन फेमिनिज्म का मतलब यह नहीं! पढ़ें रिव्यू

Thank You For Coming Movie Review : भूमि पेडनेकर, शहनाज गिल, शिबानी बेदी और यूट्यूबर्स से एक्ट्रेस बन रही कुशा कपिला और डोली सिंह स्टारर फ‍िल्‍म ‘थैंक्यू फोर कमिंग’ बड़े पर्दे पर रिलीज हो गई. रिलीज से पहले भूमि पेडनेकर और अन्य कास्ट ने इसे पितृसत्ता को गिराने वाली, महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाली नारीवादी फ‍िल्‍म के तौर पर प्रमोट किया. लेकिन क्या यह फिल्म वाकई पितृसत्ता को तोड़ने और महिलाओं के सशक्तिकरण की वकालत करती है? फिल्म के टाइटल और स्टोरी लाइन से ऐसा तो नहीं लगता. हां, यह जरूर है कि कहीं-कहीं इन मुद्दों को छूकर निकलती जरूर है. कम रन टाइम वाली इस फिल्म में कई लेयर्स दिखाए गए हैं. इन लेयर्स पर अलग-अलग फिल्में पहले भी बन चुकी हैं और बन रही है. महिलाओं की इच्छा हो या अपनी लाइफ को बिंदास जीने के लिए संघर्ष या फिर एलजीबीटीक्यू का मुद्दा, उसे सही तरीके से उठाया जाए, तो अधिक से अधिक लोगों को तक उसकी पहुंच होती है, लेकिन यहां ऐसा नहीं हो पाया.

‘थैंक्यू फोर कमिंग’ इलीट क्लास लड़की कन‍िका कपूर की कहानी है, ज‍िसे एक गायनकॉलज‍िस्‍ट स‍िंगल मदर ने पाला है. स्कूल के दिनों में ही लोग उसे ठंडी और कांडू कनिका के नाम से बुलाते हैं. कनिका 16 की उम्र से ही सेक्स और ऑर्गेज्म के फेरी टेल वाली इच्छाएं रखती है. उसे अपने सपनों का राजा यानी वीर प्रताप चाहिए. यह वीर प्रताप कौन है क्या पता? लेकिन वह खुद कहती है, ‘वीर प्रताप जैसा प्यार और सनी लियोनी जैसी बौछार.’ कन‍िका टीनेज से ही अपनी उस फेरीटेल के पूरा होने का इंतजार कर रही है, ज‍िसमें वो एक मेंढ़क को KISS करेगी और क‍िस करते ही वो मेंढ़क राजकुमार बन जाएगा. वह स्‍कूल के द‍िनों से जवान होने तक मल्‍टीपल पार्टनर्स के साथ फ‍िज‍िकल होती है पर उसे वो चरम सुख नहीं म‍िलता.

थैंक्यू फोर कमिंग की कहानी

फिल्म सेल्फ लव और सेल्फ केयर के विचार को बढ़ावा देने की बहुत कोशिश करती है, लेकिन नारीवाद को सिर्फ नाममात्र और नकारात्मक तरीके से रिप्रेजेंट करती है. कनिका को 30 की उम्र तक कोई भी खुशी देने वाला बॉयफ्रेंड नहीं मिलता. अर्जुन मल्होत्रा (करण कुंद्रा) उनका क्रश बनता है. कनिका को अपने 30वें बर्थडे पर लगता है कि अब उसे कोई पार्टनर नहीं मिलेगा. अपने जन्मदिन की पार्टी के दौरान, वह अपनी सहेलियों-टीना (शिवानी बेदी) और पल्लवी (डोली सिंह) को बताती है कि उसे कभी भी ऑर्गेज्म यानी चरम सुख का अनुभव नहीं हुआ है.

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इसी दिन वह सहेलियों के साथ मिलकर फैसला करती है कि उसे प्यार करने वाले जीवन आनंद से शादी करेगी. रोके वाली रात उसे चरमसुख मिलता है. यह किसके मिला, उसके होने वाले पति जीवन से या तीन एक्स-बॉयफ्रेंड रहे उनसे? उसे खुद नहीं पता होता. फिर वह सहेलियों संग उसका पता लगाने लगती है. इस दौरान उसके सामने कई परतें खुलती हैं. आगे की कहानी जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.

थैंक्यू फोर कमिंग का डायरेक्शन-स्क्रीनप्ले

फिल्म का पहला हाफ काफी उथल-पुथलभरा है. सेकंड हाफ में आपको थोड़ा इंटरेस्ट आएगा लेकिन जैसे ही आप उसे एन्जॉय करेंगे, वैसे ही लगेगा ये क्या हो गया. सबसे शॉकिंग राहुल के बारे में जानना होता है. लेकिन उस सीन से पहले ही आप भाप लेंगे कि क्या होने वाला है. करण बूलानी ने पहली बार डायरेक्शन किया है, जोकि थोड़ा कमजोर नजर आता है. उनका नजरिया मिडिल क्लास या लोअर क्लास से मैच नहीं हो पाता.

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जैसा पहले ही कहा कि यह इलीट क्लास लड़की की कहानी है, तो ये आम घरों की महिलाओं, लड़कियों के लिए चीप हो सकता है. वैक्स और मास्टरबेशन जैसे सीन बड़े पर्दे पर जिस तरह से दिखाए गए हैं, उससे आप और आपकी बगल वाली सीट पर बैठा कोई भी अकंफर्टेबल हो सकता है. फिल्म की थीम बहुत कुछ ‘वीरे दी वेडिंग’ से मिलती है. कनिका के मास्टरबेशन वाले सीन से लेकर म्यूजिक थीम तक सब. गाने भी ऐसे नहीं है कि आप उसे ध्यान रख सकें.

थैंक्यू फोर कमिंग में एक्टिंग

भूमि पेडनेकर एक बेहतरीन एक्ट्रेस हैं. उनकी पिछली फिल्मों में हमने देखा है. शहनाज गिल का रोल उनकी पर्सनैलिटी के हिसाब से सूट करता है. डोली सिंह और शिबानी बेदी ने अच्छा परफॉर्म किया है. हालांकि कुशा कपिला, करण कुंद्रा को स्क्रीन स्पेस काफी कम मिला है.

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

Tags: Bhumi Pednekar, Movie review

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