बिट्टू सिहं/अंबिकापुरः सरगुजा संभाग का लकड़ा चटनी काफी फेमस है. इसके चटनी को मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्र के घरों में बनाया जाता है. आदिवासी परिवार इस चटनी के साथ भात(चावल) को काफी चाव से खाते हैं. गांव के लोग ज्यादातर सुबह के खाने में इसे शामिल करते हैं. कई किसान इसकी खेती भी करते हैं, लेकिन गांव के लोग अपने घर के आंगन में भी इसके पौधे को लगाते हैं. मुख्य रूप से लकड़ा के फूल की ही चटनी बनाई जाती है.
खास बात तो यह भी है कि सरगुजा के फेमस बासी यानी(भात और लकड़ा चटनी) को छत्तीसगढ़ सरकार ने भी बोरे बासी के नाम से बढ़ावा दिया है. जो की साल में एक बार मजदूर दिवस के दिन अधिकारी भी इसके स्वाद को चखते हैं. सरगुजा के फेमस चटनी अब कई जगह होटलों में भी बनाई जाने लगी है. जिसके वजह शहरी युवाओं में भी लकड़ा चटनी का क्रेज बढ़ रहा है.
लकड़ा के चटनी कैसे बनाएं
लकड़ा के चटनी बनाने के लिए सबसे पहले उसके लाल फूल पंखुड़ी को इसके बीज से अलग करें. इसके बाद उसके पंखुड़ी के साथ लहसुन, धनिया, हरी मिर्च और नमक डालकर मिक्सर में बारीक पीसकर हल्का पानी डालने के बाद चटनी तैयार की जाती है.
चटनी का स्वाद अद्भुत
लकड़ा चटनी के शौकीन शशि रंजन ने बताया कि लकड़ा की चटनी के साथ अगर समोसे और आलू चाप खाते हैं तो इसका स्वाद भी काफी लाजवाब हो जाती है. लकड़ा की चटनी पहले मूलतः यहां के आदिवासी बहुल इलाके के लोग खाते थे. लेकिन धीरे-धीरे इसकी बढ़ती टेस्ट की वजह से शहर में भी इस्तेमाल किया जाने लगा है. ग्रामीण क्षेत्रों के होटलों में सबसे अधिक इसकी चटनी की डिमांड आज भी रहती है. वहां के अधिकतर दुकानों में लकड़ा की चटनी ही मिलती है. शशि रंजन ने आगे बताया कि अगर टमाटर की चटनी से तुलना की जाए तो उससे कई गुना ज्यादा स्वादिष्ट लकड़ा की चटनी होती है. यही वजह है कि गांव के लोग चावल के साथ खूब इस्तेमाल करते हैं.
बिहार और झारखंड में भी प्रसिद्ध
सरगुजा की फेमस लकड़ा को बिहार और झारखंड में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. झारखंड में इसे सनई और बिहार में पटवा के कहा जाता है. आमतौर पर बिहार झारखंड में रस्सी बनाने का काम आता है. इसके लिए बिहार झारखंड के किसान इसकी खेती भी करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 3, 2023, 12:14 IST