आशीष कुमार/पश्चिम चम्पारण. कहते हैं कि शिक्षा पर सबका अधिकार होता है. यह एक प्रोफेशन नहीं बल्कि सेवा है. लेकिन आज के इस दौर में यह पूरी तरह से कमर्शियल हो चुका है. आर्थिक रूप से मजबूत परिवार वालों के बच्चे बड़े से बड़े शिक्षण संस्थानों में बेहतर पढ़ाई कर पा रहे हैं, लेकिन गरीब बच्चे अपनी प्राथमिक शिक्षा भी ठीक से पूरी नहीं कर पा रहे हैं. जहां तक बात सरकारी स्कूलों की है, तो इनकी संख्या गिनी चुनी ही है, जहां पढ़ाई का स्तर ठीक है.
ऐसे में देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों का भविष्य ही अंधकारमय होता चला जा रहा है. इन्हीं सभी परेशानियों को देखते हुए चंपारण का यह शख्स पिछले 11 वर्षों से सैकड़ों बच्चों को निजी स्कूल में ही मुफ्त की शिक्षा दे रहा है. खास बात यह है कि इस स्कूल में सिर्फ उन्हीं बच्चों को पढ़ाया जाता है, जिनका परिवार गरीबी रेखा के नीचे आता है.
2012 में हुई स्कूल की स्थापना
पश्चिम चम्पारण जिला मुख्यालय बेतिया के बेल बाग में एक ऐसा स्कूल चलाया जाता है, जहां बच्चों को मुफ्त में बेहतरीन प्राथमिक शिक्षा दी जाती है. खास बात यह है कि यह सरकारी नहीं बल्कि प्राइवेट अनौपचारिक स्कूल है, जिसे रामकृष्ण मिशन एजुकेशनल सोसायटी के निदेशक मदन बनिक के द्वारा चलाया जाता है. इस स्कूल का नाम विवेकानंद अनौपचारिक विद्यालय है, जिसके सचिव मदन बनिक तथा प्रधानाचार्य संतोष कुमार राय हैं. बकौल मदन, इस स्कूल को 2012 में सिर्फ इस उद्देश्य से खोला गया था कि यहां बीपीएल अर्थात गरीबी रेखा से नीचे आने वाले परिवार के बच्चों को ही शिक्षा दी जाएगी. वह भी बिना किसी चार्ज के. खास बात यह है कि फॉर्म भरने से लेकर ड्रेस कोड तक सबकुछ स्कूल के जरिए ही बिना किसी चार्ज के दिया किया जाता है.
यूकेजी से पांचवी कक्षा तक की पढ़ाई
मदन ने बताया कि यह एक प्राथमिक विद्यालय है, जहां यूकेजी से लेकर पांचवी तक की पढ़ाई कराई जाती है. अनौपचारिक होते हुए भी यहां के नियम किसी बड़े प्राइवेट स्कूल के जैसे ही हैं. हर दिन दोपहर 2 बजे स्कूल का समय शुरू हो जाता है, जो शाम के 5:30 बजे तक चलता है. स्कूल में फिलहाल 162 बच्चों का नामांकन है, जिसमें से 150 बच्चे हर दिन उपस्थित रहते हैं. इन्हें पढ़ाने के लिए कुल 6 शिक्षकों की टीम है, जिसमें प्रधानाचार्य भी शामिल हैं. खास बात यह है कि हर दिन बच्चों को 5 पीरियड की पढ़ाई करनी पड़ती है, जिसमें वर्ग के अनुसार अलग-अलग विषयों को पढ़ाया जाता है. इतना ही नहीं, समय-समय पर एक्स्ट्रा एक्टिविटीज भी कराई जाती है, जिससे बच्चों के बौद्धिक तथा संपूर्ण विकास का मार्ग प्रशस्त होता है. गरीब बच्चों का हक मारा न जाए, इसलिए एडमिशन के वक्त बीपीएल कार्ड होने के बावजूद भी पुष्टि के लिए उनकी टीम घर-घर जाकर जांच करती है.
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FIRST PUBLISHED : September 28, 2023, 15:09 IST