परमजीत कुमार/देवघर. अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिये सबसे अच्छा और शुभ समय पितृपक्ष को माना जाता है. पितृपक्ष के दिनों मे पितरो का पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध किया जाता है. हर साल भाद्रपद महीने के प्रतिपदा तिथी से पितृपक्ष की शुरुआत होती है और ये आश्विन महीने के अमावस्या तक चलता है. वहीं ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि पितृपक्ष के दौरान घर पर आने वाला मनुष्य ही नहीं बल्कि पशु-पक्षी भी पितृ का रूप होते हैं.
वहीं पितृपक्ष में पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध आदि पुरे दिन नहीं किया जाता. उसके लिये सही समय होता है. तो आइए देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते हैं कि पितृपक्ष में पिंडदान कब करना चाहिए? देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि पितृपक्ष में पिंडदान श्राद्ध तर्पण आदि कर्म करके पितरों को मृत्यु लोक से मुक्ति दिलाई जा सकती है.
पितरों का मिलता है आशिर्वाद
पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध करके उनकी कृपा प्राप्त होती है और उनके आशीर्वाद से सारी बधाओं से मुक्ति मिलती है. वही पितृपक्ष के दिनों में पशु पक्षी आदि को भी भोजन कराना चाहिए. इसे पितर प्रसन्न होते हैं. ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि पिंडदान देने के लिए सबसे उत्तम जगह बिहार का गया जिला होता है.
क्या है कुतुप बेला ?
मातृपक्ष और पितृपक्ष का तीन पीढियों तक पिंडदान पड़ता है. पिंडदान देने के लिए सबसे शुभ मुहूर्त दोपहर का माना जाता है. जिसे कुतुप बेला कहते हैं. ना ही अहले सुबह और ना ही ढलती शाम में पिंडदान किया जाना चाहिए. इससे अशुभ प्रभाव पड़ता है. पितृपक्ष में पिंडदान दोपहर 11:30 बजे से लेकर 2:30 तक का समय सबसे उत्तम माना गया हैं.
जानें श्राद्ध की तिथि
30 सितंबर प्रतिपदा का श्राद्ध, 01 अक्टूबर द्वितीय का श्राद्ध, 02 अक्टूबर तृतीय का श्राद्ध, 03अक्टूबर चतुर्थी का श्राद्ध, 04 अक्टूबर पंचमी का श्राद्ध, 05 अक्टूबर ससठी का श्राद्ध, 06 अक्टूबर सप्तमी का श्राद्ध, 07अक्टूबर अष्टमी का श्राद्ध, 08 अक्टूबर नवमी का श्राद्ध,09 अक्टूबर दसवीं का श्राद्ध, 10अक्टूबर एकादशी का श्राद्ध, 11 अक्टूबर द्वादशी/ संन्यासियों का श्राद्ध, 12 अक्टूबर त्रयोदशी का श्राद्ध, 13 अक्टूबर चतुर्दशी का श्राद्ध, 14 अक्टूबर अश्विन माह का अमावस्या श्राद्ध.
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FIRST PUBLISHED : September 28, 2023, 09:56 IST