पाकिस्तान के कार्यवाहक PM काकर का UNGA में कश्मीर राग, भारत देगा जवाब

न्यूयार्क. पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारूल हक काकर ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक बार फिर कश्मीर का राग अलापा है. उन्होंने अपने भाषण में कश्मीर को लेकर कहा कि जम्मू-कश्मीर मुद्दा संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे में सबसे लंबे समय तक रहने वाले मुद्दों में से एक है. काकर ने शुक्रवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही. भारत के पास अब शनिवार सुबह यूएनजीए में पाकिस्तान के भाषण का जवाब देने का अधिकार होगा और इस पर तीखी प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद है.

उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान भारत सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण और उपयोगी संबंध चाहता है.’ उन्होंने कहा कि कश्मीर पाकिस्तान और भारत के बीच शांति की कुंजी है. भारत ने पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने पर बार-बार चिंता जताई है और जोर देकर कहा है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते. भारत ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवादी समूहों के लिए पाकिस्तान के समर्थन के सबूत भी प्रदान किए हैं. पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने हालांकि जम्मू-कश्मीर पर अवैध कब्जे का राग अलापा.

पाक ने की कश्मीर में जनमत संग्रह की बात
उन्होंने कहा, ‘भारत सुरक्षा परिषद के उन प्रस्तावों को लागू करने से बचता रहा है जिसमें कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के अंतिम फैसले का फैसला वहां के लोगों द्वारा संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह के जरिए किया जाए. अगस्त 2019 के बाद से, भारत ने कश्मीर के लिए अंतिम समाधान को लागू करने के लिए अवैध रूप से कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में 900,000 सैनिकों को तैनात किया है.

अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने के भारत सरकार के फैसले के बाद, इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद में भारत के राजदूत को निष्कासित कर दिया और द्विपक्षीय व्यापार को रोक दिया.

पुलवामा हमले के बाद भारत के तेवर कड़े
भारत ने 2019 में पुलवामा हमले के बाद पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह पाकिस्तान के साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंध चाहता है, यह कहते हुए कि आतंकवाद और शत्रुता से मुक्त एक अनुकूल वातावरण बनाना उन पर निर्भर है. इससे पहले अगस्त में पाकिस्तान के पूर्व पीएम शहबाज शरीफ ने भारत से बातचीत की इच्छा जताई थी.

उन्होंने कहा, ‘अपने पड़ोसियों के साथ हम उनसे बातचीत करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि पड़ोसी गंभीर मुद्दों पर बातचीत की मेज पर गंभीर हो क्योंकि युद्ध अब कोई विकल्प नहीं रह गया है. पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति है, हमलावर के रूप में नहीं बल्कि हमारे रक्षा उद्देश्यों के लिए. पिछले 75 वर्षों में हमने तीन युद्ध लड़े हैं और हुआ यह है कि यह अधिक गरीबी, बेरोजगारी और संसाधनों की कमी पैदा करता है.

बातचीत के लिए हिंसा मुक्त माहौल की बात
इसके बाद विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि भारत पाकिस्तान के साथ पड़ोसी रिश्ते चाहता है लेकिन ऐसे रिश्ते के लिए आतंक और हिंसा से मुक्त माहौल होना चाहिए. एक साप्ताहिक ब्रीफिंग के दौरान, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था, “हमने इस मुद्दे पर पाकिस्तान के पीएम की टिप्पणियों के संबंध में रिपोर्ट देखी है. भारत की स्पष्ट और सुसंगत स्थिति सर्वविदित है कि हम पाकिस्तान सहित अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ सामान्य संबंध चाहते हैं. इसके लिए आतंक और शत्रुता से मुक्त वातावरण जरूरी है.”

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