असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कांग्रेस पर पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों में अपने शासन के दौरान परेशानी पैदा करने का बुधवार को आरोप लगाया। उन्होंने मणिपुर संकट के लिए भी कांग्रेस की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया।
मणिपुर में शांति बनी रही हालांकि बंद की खबरों ने चिंता पैदा की इसके अलावा मणिपुरी अभिनेत्री सोमा लैशराम के सौंदर्य प्रतियोगिता में भाग लेने पर उनके खिलाफ लगाये गये प्रतिबंध का मुद्दा गर्मा गया है। इसके अलावा असम के मुख्यमंत्री इन दिनों चुनावी राज्यों के दौरे पर हैं और विपक्षी पार्टियों पर जोरदार निशाना साध रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में जहां चुनावी हलचलें तेज हो गयी हैं वहीं त्रिपुरा में भाजपा अपने संगठन को मजबूत करने में लगी हुई है। इसके अलावा मेघालय में इस सप्ताह विधानसभा में हंगामा हुआ तो नगालैंड में एक हादसे ने लोगों का दिल दुखाया। इसके अलावा भी पूर्वोत्तर भारत से कई प्रमुख समाचार रहे। आइये डालते हैं सभी पर एक नजर और सबसे पहले बात करते हैं असम की।
असम
असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कांग्रेस पर पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों में अपने शासन के दौरान परेशानी पैदा करने का बुधवार को आरोप लगाया। उन्होंने मणिपुर संकट के लिए भी कांग्रेस की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। राजस्थान के जोधपुर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ‘परिवर्तिन संकल्प’ यात्रा के लिए जोधपुर पहुंचे शर्मा ने सनातन धर्म पर की गई टिप्पणियों पर कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की चुप्पी पर सवाल उठाया। उन्होंने दावा किया कि चुप्पी इन टिप्पणियों का समर्थन है। जोधपुर पहुंचने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए शर्मा ने कहा, ”जब कांग्रेस सत्ता में थी, तो पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्य अशांत थे। आज सात राज्यों में शांति है।” उन्होंने कहा, “आज मणिपुर की जो हालत है उसके लिए कांग्रेस (सरकार) की नीतियां जिम्मेदार हैं।” शर्मा ने सनातन धर्म पर द्रमुक नेताओं की टिप्पणी को लेकर ‘इंडिया’ गठबंधन और कांग्रेस पर प्रहार किया। भाजपा नेता ने कहा, ‘‘इंडिया’ (गठबंधन) के सदस्यों द्वारा सनातन धर्म के खिलाफ बार-बार बयान देने के बावजूद, कांग्रेस ने चुप्पी साध रखी है। यहां तक कि राहुल गांधी ने भी सनातन धर्म की आलोचना से खुद को अलग करने के लिए कोई बयान जारी नहीं किया है। इससे साफ पता चलता है कि वह उनके साथ हैं।” द्रमुक नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया और कोरोना वायरस जैसी बीमारियों से की थी और कहा था कि ऐसी चीज़ों का विरोध नहीं करना चाहिए बल्कि खत्म कर देना चाहिए। शर्मा ने कहा, ”अगर आप अकादमिक बहस में भी इस्लाम के खिलाफ बोलते हैं तो आपका सिर काट दिया जाता है, लेकिन ‘इंडिया’ गठबंधन के सदस्यों द्वारा सनातन धर्म की लगातार आलोचना की जा रही है।” असम के मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं भी नहीं चाहता कि कोई इस्लाम के खिलाफ बोले, लेकिन सनातन धर्म के खिलाफ बयानों के बावजूद कांग्रेस ने चुप्पी साध रखी है।” राजस्थान के बारे में शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत घबराए हुए हैं और कुछ-कुछ दिनों पर नई योजनाओं का ऐलान कर रहे हैं। शर्मा ने कहा, ”यदि वह वास्तव में लोगों के कल्याण को लेकर चिंतित थे, तो उन्हें चुनाव से बहुत पहले ही ये योजनाएं शुरू करनी चाहिए थीं।” राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। शर्मा ने दावा किया कि असम में मंहगाई दर सिर्फ चार प्रतिशत है जबकि राजस्थान में यह 8.6 फीसदी है। उन्होंने राज्य में पेट्रोल-डीज़ल के अधिक दामों के लिए कांग्रेस से माफी की मांग की। उन्होंने कांग्रेस से राहत देने का ‘ड्रामा’ बंद करने को भी कहा।
इसके अलावा, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) अरुप राहा को पांच साल की अवधि के लिए असम विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया है। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रदोष किरण नाथ द्वारा जारी एक नोटिस के अनुसार असम विश्वविद्यालय अधिनियम, 1989 के विधान एक के प्रावधानों के अनुसार राहा की नियुक्ति 15 सितंबर से प्रभावी होगी। नोटिस में कहा गया है कि 69 वर्षीय राहा जाने माने कवि, गीतकार और फिल्मकार गुलजार की जगह लेंगे। वह असम विश्वविद्यालय के अधिनियम के प्रावधानों एवं विधान के अनुसार अपने अधिकारों का इस्तेमाल और कामकाज करेंगे। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक से पत्र प्राप्त होने के बाद यह अधिसूचना जारी की गई। सैनिक स्कूल, पुरुलिया के पूर्व छात्र राहा ने 31 दिसंबर, 2013 से 31 दिसंबर, 2016 तक 21वें वायु सेना प्रमुख के रूप में कार्य किया था।
इसके अलावा, असम के बारपेटा जिले की एक अदालत ने मंगलवार को गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी के खिलाफ एक मामले में दो आरोप- अश्लील हरकत करना और एक लोक सेवक पर हमला करना- हटा दिए। मामला एक महिला पुलिस अधिकारी पर कथित हमले से संबंधित है। कथित घटना तब हुई, जब पिछले साल अप्रैल में महिला अधिकारी अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मेवाणी को उनकी गिरफ्तारी के बाद गुवाहाटी हवाई अड्डे से कोकराझार ले जा रही थीं। अदालत के बाहर मेवाणी ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे आवेदन पर अदालत ने आज विचार किया। अदालत ने मेरे खिलाफ मामले से भारतीय दंड संहिता की धारा 294 और 353 को हटा दिया है। अब मामला दर्ज अन्य धाराओं के अनुसार आगे बढ़ेगा।’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि अगली सुनवाई अक्टूबर में होगी और वह अदालत के समक्ष पेश होंगे। कांग्रेस नेता मेवाणी को पहली बार 19 अप्रैल को गुजरात के पालनपुर से गिरफ्तार किया गया था और कोकराझार लाया गया था, जहां उनके खिलाफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में ट्वीट करने के लिए मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में जमानत पर रिहा होने के तुरंत बाद मेवाणी को 25 अप्रैल को बारपेटा रोड पुलिस थाने में दर्ज एक अन्य मामले में गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में कांग्रेस नेता पर महिला पुलिस अधिकारी पर हमला करने का आरोप लगाया गया था। बारपेटा की अदालत ने उन्हें 29 अप्रैल को जमानत दे दी थी।
इसके अलावा, असम कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा ने सिंगापुर के ली कुआन यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी से मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा को दी गई फेलोशिप को “वापस लेने” का आग्रह किया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेता “भारतीय राजनीति में जो कुछ भी गलत है, उसके पक्ष में खड़े हैं”। संस्थान के डीन को लिखे एक खुले पत्र में बोरा ने कहा कि वह “हैरान” थे कि सिंगापुर के पहले प्रधानमंत्री के नाम पर दी जाने वाली ‘ली कुआन यू एक्सचेंज फेलोशिप’ शर्मा को प्रदान की गई है। भाजपा नेता यह सम्मान पाने वाले असम के पहले मुख्यमंत्री बने। यह फेलोशिप व्यक्तियों को उनके राष्ट्र के विकास और सिंगापुर के साथ द्विपक्षीय संबंधों में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान की जाती है। पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि यह सम्मान राज्य के मुख्यमंत्री का है, किसी पार्टी नेता का नहीं, लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सकारात्मक घटनाक्रम में भी नकारात्मकता ढूंढने की कोशिश करते हैं। बोरा ने अपने खुले पत्र में इस बात पर प्रकाश डाला कि सिंगापुर के संस्थापक प्रधानमंत्री ली कुआन यू एक अनुकरणीय राजनेता थे जिन्होंने जीवन भर ईमानदारी, कड़ी मेहनत और शिष्टता का प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेता ने पत्र में दावा किया, “दूसरी ओर, हिमंत विश्व शर्मा उन सभी चीजों के विपरीत उदाहरण पेश करते हैं जिनके लिए ली कुआन यू खड़े थे। वास्तव में, वह भारतीय राजनीति में जो कुछ भी गलत है, उसके पक्ष में खड़े हैं।” विभिन्न समाचार खबरों का हवाला देते हुए, बोरा ने आरोप लगाया कि शर्मा “कई वित्तीय घोटालों के आरोपी” हैं और “अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्यधिक सांप्रदायिक बयान” देते हैं। बोरा के पत्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा प्रवक्ता रूपम गोस्वामी ने कहा कांग्रेस नेता को इस बात पर गर्व होना चाहिए था कि उनके राज्य के मुख्यमंत्री को सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “वह (शर्मा) भाजपा से हो सकते हैं, लेकिन यह फेलोशिप मुख्यमंत्री के लिए है, किसी पार्टी सदस्य के लिए नहीं। भूपेन बोरा एक नकारात्मक व्यक्ति हैं और सकारात्मक विकास में भी नकारात्मक चीजों को खोजने की कोशिश करते हैं।” इससे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया जैसी भारतीय हस्तियों को यह फेलोशिप मिल चुकी है।
इसके अलावा, असम में सिलचर स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) के डीन (अकेडमिक्स) बी के रॉय को अस्थायी तौर पर पद से हटा दिया गया है। संस्थान के छात्रों ने डीन पर छात्रों को प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं जिसके कारण तृतीय वर्ष के एक छात्र ने आत्हत्या कर ली। एनआईटी के रजिस्ट्रार के. एल. वैष्णव ने बताया कि आगामी आदेश तक डॉ. ललित कुमार सैकिया इस पद को संभालेंगे। उन्होंने छात्रों से प्रदर्शन खत्म कर कक्षाओं में लौटने की अपील करते हुए कहा कि उनकी मांगों का समाधान बातचीत से ही निकलेगा। वैष्णव ने कहा, ‘अगर एनआईटी-सिलचर की छवि को कोई नुकसान पहुंचेगा तो इसका असर छात्रों के भविष्य पर भी पड़ेगा। इसलिए हम छात्रों से कक्षाओं में लौटकर पढ़ाई करने की अपील करते हैं।’ छात्रों ने डीन (अकेडमिक्स) रॉय को पद से हटाने की मांग करते हुए रविवार से भूख हड़ताल शुरू की थी। छात्रों ने आरोप लगाया था कि डीन का छात्रों को प्रताड़ित करने का पुराना रिकॉर्ड रहा है और वह तृतीय वर्ष के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र की मौत के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। वैष्णव ने कहा कि एनआईटी एक स्वायत्त निकाय है और शैक्षणिक मामलों, उपस्थिति, अंक प्रदान करने एवं अन्य मुद्दों से संबंधित किसी भी बदलाव को छह अक्टूबर को होने वाली सीनेट की अगली बैठक में आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया जा सकता है। छात्रों ने मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर संस्थान में बढ़ते संकट को हल करने के लिए मदद मांगी थी। छात्रों ने पत्र में आरोप लगाया कि,‘‘ संस्थान के प्रशासन के कार्यों और रवैये ने ‘परिसर को अराजकता की स्थिति में धकेल दिया है जिससे छात्र तनाव में हैं। हम आपसे तत्काल ध्यान देने की मांग करते हैं।’’ अरुणाचल प्रदेश के कोक बुकेर का शव 15 सितंबर को उसके छात्रावास के कमरे में लटका पाया गया था। आत्महत्या के बाद छात्र के सहपाठियों ने शुक्रवार रात को प्रदर्शन शुरू कर दिया था और उन्होंने कथित तौर पर डीन के आवास में तोड़फोड़ की थी। छात्रों पर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था जिसमें 40 छात्र घायल हो गए थे।
मेघालय
मेघालय से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष थॉमस ए संगमा ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता मुकुल संगमा द्वारा मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा पर की गई एक टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से हटा दिया क्योंकि उन्होंने इसे “नियमों का उल्लंघन” माना। बयान को कार्यवाही से हटाने का आदेश राज्य के संसदीय कार्य मंत्री प्रेस्टोन तिनसॉन्ग के अनुरोध के बाद आया। उन्होंने टीएमसी नेता के बयान को “विधानसभा नियमों का उल्लंघन” बताया था। विधानसभा अध्यक्ष ने संबंधित नियमों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘नियमों का पालन करते हुए मैं मुकुल संगमा द्वारा दिए गए बयान को (सदन की) कार्यवाही से हटा रहा हूं क्योंकि यह नियमों का उल्लंघन है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, मुख्यमंत्री के खिलाफ मामले पर मुकुल संगमा द्वारा दिया गया भाषण कार्यवाही का हिस्सा नहीं होगा और मैं इसे 19 सितंबर की सदन की कार्यवाही से हटा रहा हूं।’’ टीएमसी नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री ने मंगलवार को सदन में एक प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री पर टिप्पणी की थी।
इसके अलावा, मेघालय की एकमात्र महिला मंत्री अंपरीन लिंगदोह ने संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण संबंधी विधेयक को मंजूरी देने के कैबिनेट के फैसले का स्वागत किया और इसे ऐतिहासिक निर्णय करार दिया। उन्होंने विश्वास जताया कि यह निर्णय देश की पुरुष-प्रधान राजनीति में बदलाव की शुरुआत करेगा। लिंग्दोह ने कहा, ‘मैं इस ऐतिहासिक फैसले के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद देती हूं। मातृ सत्तात्मक मेघालय की महिलाओं के रूप में, हम बहुत खुश हैं और हम इस फैसले का दिल से समर्थन करते हैं।’ उन्होंने कहा, “यह फैसला देश की पुरुष-प्रधान राजनीति में बदलाव की शुरुआत करेगा।”
मणिपुर
मणिपुर से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में हथियार रखने और सेना की वर्दी पहनकर घूमने के आरोप में गिरफ्तार पांच युवकों को बिना शर्त रिहा करने की मांग को लेकर मेइती समुदाय की महिलाओं के समूह मीरा पैबी और पांच स्थानीय क्लब द्वारा आहूत 48 घंटे के बंद के दूसरे दिन बुधवार को भी इंफाल घाटी के जिलों में आम जनजीवन प्रभावित रहा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों के मुताबिक बंद के दूसरे दिन भी शैक्षणिक संस्थान, बाजार, बैंक और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान बंद रहे, जबकि सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति नगण्य रही और सड़कों पर कुछ वाहन ही नजर आए। इंफाल घाटी के सभी पांच जिलों में बड़ी संख्या में महिलाओं ने सड़कों को बाधित किया और युवकों की रिहाई की मांग करते हुए नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने पहाड़ी इलाकों में कानून-व्यवस्था से निपटने में विफल रहने के लिए राज्य सरकार और पुलिस को जिम्मेदार ठहराया। इंफाल पूर्वी जिले के वांगखेई में एस सखी नाम की एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ”पुलिस इंफाल घाटी के पांच जिलों में निहत्थे नागरिकों को गिरफ्तार करना, हिरासत में लेना और उन पर आंसू गैस के गोले दागना जारी रखती है, जबकि चुराचांदपुर और कांगपोकपी जिलों के कुकी-प्रभुत्व वाले इलाकों में खुलेआम जुलूस निकाल रहे सशस्त्र बंदूकधारियों के खिलाफ कुछ नहीं कर रही है।’’ इंफाल पश्चिम जिले के नाओरेमथोंग में प्रदर्शनकारी एस बेबिसाना ने कहा, ‘‘ग्राम स्वयंसेवकों का काम पहाड़ी और घाटी क्षेत्रों की परिधि में स्थित मेइती गांवों को कुकी-ज़ो उग्रवादियों के हमलों से बचाना है।’’ मणिपुर पुलिस ने शनिवार को अत्याधुनिक हथियार रखने और सेना की वर्दी पहनने के आरोप में पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने एक बयान में कहा कि पांचों को न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जहां से उन्हें पुलिस हिरासत में भेज दिया। प्रदर्शनकारियों ने 16 सितंबर को पांच युवकों की रिहाई की मांग करते हुए पोरोम्पैट पुलिस थाने पर धावा बोलने की कोशिश की, जिसके बाद सुरक्षाबलों को कई राउंड आंसू गैस के गोले दागने पड़े। इस गतिरोध के दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों और त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) के एक जवान को मामूली चोट आई।
इसके अलावा, मणिपुरी अभिनेत्री सोमा लैशराम ने सौंदर्य प्रतियोगिता में भाग लेने पर हाल ही में एक नागरिक संगठन द्वारा फिल्मों में अभिनय और सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लेने पर लगाए गए प्रतिबंध का कड़ा विरोध किया और कहा कि उन्होंने अपने राज्य के खिलाफ कुछ गलत नहीं किया है। मणिपुर में हिंसा जारी रहने के बीच दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के कारण नागरिक संगठन कांगलीपाक कानबा लुप (केकेएल) ने अभिनेत्री पर यह प्रतिबंध लगाया है। लैशराम ने सोशल मीडिया पर साझा किए एक वीडियो में कहा कि वह इस घटना से सदमे में हैं और उन्हें काफी दुख पहुंचा है। सौ से अधिक मणिपुरी फिल्मों में अभिनय कर चुकीं लैशराम ने कहा, ‘‘एक कलाकार और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर (अपने विचारों से लोगों प्रेरित करने वाले) के तौर पर मैं इसका (निर्देश का) कड़ा विरोध करती हूं। मैं जब भी चाहूं और जहां भी जरूरत महसूस करूं वहां मुझे बोलने का पूरा अधिकार है…। मैंने अपने राज्य अपनी मातृभूमि के खिलाफ कुछ गलत नहीं किया।’’ अभिनेत्री (31) ने कहा, ‘‘जब मुझे पूर्वोत्तर उत्सव में बतौर ‘शो स्टॉपर’ मणिपुर का प्रतिनिधित्व करने के लिए बुलाया गया तो मैं वहां मौजूद हजारों लोगों के बीच सिर्फ अपने राज्य का समर्थन करने और जागरुकता फैलाने (हिंसा के पीछे की वजह बताने) के इरादे से गई थी।’’ लैशराम पर प्रतिबंध की लोग और फिल्म संगठन काफी आलोचना कर रहे हैं। संपर्क किए जाने पर फिल्म फोरम मणिपुर के एक शीर्ष पदाधिकारी ने कहा कि इस तरह का दखल दुर्भाग्यपूर्ण और अनुचित है। मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय के लोगों की अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में हुए ‘जनजातीय एकता मार्च’ प्रदर्शनों के बाद भड़की हिंसा में अब तक 175 से अधिक लोगों की जान चली गई है और इस जातीय हिंसा में सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। मेइती समुदाय की आबादी मणिपुर की कुल आबादी का 53 प्रतिशत है जो मुख्यत: इंफाल घाटी में रहते हैं जबकि नगा एवं कुकी समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत है जो अधिकांशत: पर्वतीय जिलों में निवास करता है।
इसके अलावा, मणिपुर में आतंकवादी समूहों के सदस्यों द्वारा सेना की वर्दी पहनकर वसूली करने के मामले में पांच लोगों की गिरफ्तारी के मद्देनजर पुलिस ने मंगलवार को फिर से चेतावनी दी कि अपने निहित स्वार्थों के लिए सुरक्षाकर्मियों की वर्दी का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि पांचों आरोपी वर्दी पहनकर आम जनता से कथित तौर पर जबरन वसूली कर रहे थे और उनके पास एके और इंसास राइफल समेत घातक हथियार थे, जो पुलिस शस्त्रागार से लूटे गए थे। गिरफ्तार किए गए लोगों में 45 वर्षीय एम. आनंद सिंह भी शामिल है, जो कथित तौर पर कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी) न्योन समूह का प्रशिक्षित कैडर है। यह संगठन कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित है। पुलिस ने जुलाई में कड़ी चेतावनी जारी कर लोगों से पुलिस की वर्दी का दुरुपयोग बंद करने को कहा था, क्योंकि ऐसी खबरें आई थीं कि सशस्त्र दंगाई अविश्वास पैदा करने के लिए सुरक्षाकर्मियों की वर्दी पहन रहे थे। कुछ अल्पसंख्यक समूह पांच लोगों को रिहा कराने के लिए पुलिस पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं और इनमें से कुछ समूहों ने 48 घंटे का बंद बुलाया है लेकिन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया कि कानून अपना काम करेगा। अधिकारियों ने बताया कि सिंह पर आदतन अपराधी होने का आरोप है और वह पहले भी छह बार जेल जा चुका है। उसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत भी मामला दर्ज है। उन्होंने कहा कि मणिपुर पुलिस ने सभी सुरक्षा प्रतिष्ठानों में यह सुनिश्चित करने के लिए अभियान चलाया है कि उसकी वर्दी का दुरुपयोग न हो और उन्हें निगरानी बढ़ाने और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। यह कार्रवाई 12 सितंबर को कांगपोकपी जिले में पुलिस की वर्दी पहने हथियारबंद लोगों द्वारा तीन आदिवासियों की गोली मारकर हत्या करने के लगभग एक सप्ताह बाद हुई है। बाद में पता चला कि इस वारदात को अंजाम देने वाले लगभग 20 से अधिक हथियारबंद लोगों ने पुलिस की वर्दी पहन रखी थी, जिनका मकसद हिंसा प्रभावित राज्य में केंद्रीय बलों द्वारा जांच के लिए रोके जाने से बचना था। अधिकारियों ने कहा कि पुलिस को सुरक्षाकर्मियों, खासकर इंडिया रिजर्व बटालियन और मणिपुर पुलिस को ले जाने वाले किसी भी वाहन और उनके पहचान पत्र की जांच करने के लिए भी कहा गया है। तीन मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 180 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं।
त्रिपुरा
त्रिपुरा से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य में दो विधानसभा सीट पर हाल के उपचुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत से प्रभावित हैं, जहां बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक मतदाता हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी ने केंद्र और राज्य सरकार के विकास कार्यों के कारण बक्सनगर और धनपुर सीट जीतीं। दक्षिण त्रिपुरा के सीमावर्ती क्षेत्र राजनगर में साहा ने पार्टी के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हाल में दिल्ली में प्रधानमंत्री के साथ मेरी मुलाकात के दौरान उन्होंने मुझसे पूछा कि भाजपा ने दो विधानसभा क्षेत्रों में भारी अंतर से कैसे जीत हासिल की, क्योंकि बक्सनगर और धनपुर में अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाताओं की काफी संख्या है।’’ अल्पसंख्यक समुदाय बहुल बक्सनगर विधानसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार ने 20,000 से अधिक मतों के अंतर से उपचुनाव जीता, जबकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई। भाजपा ने धनपुर विधानसभा सीट को 18,000 मतों के अंतर से बरकरार रखा, जहां बड़ी संख्या में आदिवासी और मुस्लिम मतदाता हैं। साहा ने कहा, ‘‘हमने किसी अन्य राज्य में भाजपा की इतनी बड़ी जीत के बारे में नहीं सुना है जहां अल्पसंख्यक मतदाता एक कारक हैं। मैंने प्रधानमंत्री को बताया कि हमने दोनों सीट मंत्र-‘सबका साथ सबका विकास’ के आधार पर जीती हैं।’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैंने अल्पसंख्यक मतदाताओं को यह समझाने के लिए व्यक्तिगत रूप से बक्सनगर और धनपुर के मदरसों का आठ से दस बार दौरा किया कि भाजपा ‘सबका साथ सबका विकास’ में विश्वास करती है। और, हम सफल रहे।’’ उन्होंने कहा कि उपचुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी-इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) गठबंधन के पास 60 सदस्यीय विधानसभा में 32 सीट थीं और अब यह संख्या 34 हो गई है। उन्होंने कहा कि उपचुनाव के नतीजों से भाजपा को अपनी स्थिति और मजबूत करने में मदद मिली है। साहा ने कहा, ‘‘चुनाव प्रचार के बीच, केंद्रीय नेतृत्व जानना चाहता था कि क्या उपचुनाव जीतने पर कोई संदेह है, लेकिन मैंने उन्हें बताया कि पार्टी अच्छे अंतर से जीत हासिल करेगी।’’ मुख्यमंत्री ने पार्टी नेताओं से जाति और धर्म से ऊपर उठकर लोगों के लिए काम करने का आग्रह किया और घर-घर प्रचार अभियान के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘कई लोगों ने कहा कि मुख्यमंत्री का उपचुनाव के लिए घर-घर जाकर प्रचार करना समझदारी नहीं है, लेकिन मैंने ऐसा किया और पार्टी को फायदा हुआ।’’ इससे पहले कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने राजनगर में माकपा और कांग्रेस छोड़कर आए 203 परिवारों का भाजपा में स्वागत किया।
नगालैंड
नगालैंड से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के त्सेमिन्यु जिले में बुधवार को ट्रक के टक्कर मारने के बाद एक कार (एसयूवी) खाई में गिर गई जिससे आठ लोगों की मौत हो गई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह दुर्घटना राज्य की राजधानी कोहिमा से 65 किलोमीटर दूर ‘के. स्टेशन’ के पास तड़के हुई। उन्होंने बताया कि टक्कर इतनी जबर्दस्त थी कि ट्रक भी सड़क से नीचे फिसल गया और फिर खाई में कार के ऊपर जा गिरा। त्सेमिन्यु के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) लानू एयर ने बताया कि जब हादसा हुआ उस वक्त कार कोहिमा से कोकोकचुंग की ओर जा रही थी जबकि बालू से लदा ट्रक मेरापानी से कोहिमा की तरफ जा रहा था। उन्होंने बताया कि सात लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि एक अन्य ने अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में दम तोड़ दिया। एएसपी ने बताया, ”टक्कर के कारण कार कुछ दूरी तक राजमार्ग पर घिसटती चली गई और फिर राजमार्ग से कई फुट नीचे गिर गई। रेत से लदे ट्रक ने कार को पूरी तरह से कुचल दिया और सभी कार यात्री अंदर फंस गए थे। दुर्घटना के कारण का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी गई है। मृतकों में वह तीन महिलाएं भी शामिल हैं जिन्होंने हाल में नगालैंड कर्मचारी चयन बोर्ड की परीक्षा पास की थी और उन्हें ग्रेड-3 कर्मी के तौर पर सरकारी सेवा में शामिल होने के लिए नियुक्ति पत्र मिल गया था। मृतकों में कुल छह महिलाएं और चालक समेत दो पुरुष शामिल हैं। एएसपी ने बताया कि ट्रक के चालक और उसके सहायक समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने इन मौतों पर शोक व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों के लिए दो-दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की। उन्होंने शोक संतप्त परिवारों के प्रति गहरी संवेदना भी व्यक्त की। नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन (एनएसएफ) ने भी घटना पर गहरा दुख जताया है।
इसके अलााव, केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि वह अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड में परिसीमन प्रक्रिया के लिए आयोग गठित करने पर विचार कर रहा है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि सरकार दोनों पूर्वोत्तर राज्यों के लिए परिसीमन आयोग गठित करने पर विचार कर रही है। उन्होंने बिना अधिक विवरण साझा किए कहा कि जहां तक मणिपुर का सवाल है, प्रक्रिया ‘‘स्पष्ट कारणों’’ से लंबित है। पीठ ने मेहता से दो सप्ताह बाद इस संबंध में जानकारी देने को कहा। उच्चतम न्यायालय अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नगालैंड सहित चार पूर्वोत्तर राज्यों में परिसीमन प्रक्रिया के लिए निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इसने पिछले साल 25 जुलाई को याचिका पर केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया था। याचिका में दलील दी गई है कि अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नगालैंड में पिछले 51 साल से परिसीमन की कवायद नहीं की गई है।
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने लोअर सुबानसिरी जिले में याचुली विधानसभा क्षेत्र के लोगों की लंबे समय से जारी मांग को पूरा करते हुए एक नए जिले केई पन्योर के निर्माण की घोषणा की है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह घोषणा बुधवार को याचुली में आयोजित एक जनसभा के दौरान की गई और नया जिला लोअर सुबानसिरी को अलगकर बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि सरकार मौजूदा लोअर सुबानसिरी जिले को विभाजित करके केई पन्योर जिला बनाने के लिए तैयार है। खांडू ने कहा, “केई पन्योर जिले के निर्माण से अपातानी पठार के लोगों की अपना जिला बनाने की लंबे समय से जारी आकांक्षा भी पूरी होगी।” केई पन्योर के निर्माण के साथ अरुणाचल प्रदेश में 27 जिले हो जाएंगे।