भारत राष्ट्र समिति के अध्यक्ष तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव ने दो निर्वाचन क्षेत्रों से आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है। सीएम के इस फैसले के बाद से राजनीतिक हलकों में नई बहस छिड़ गई है।
भारत राष्ट्र समिति के अध्यक्ष तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव ने दो निर्वाचन क्षेत्रों से आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है। सीएम के इस फैसले के बाद से राजनीतिक हलकों में नई बहस छिड़ गई है। साल 2004 में केसीआर लोकप्रिय सीएम के तौर पर माने जाते हैं। तब उन्होंने सिद्दीपेट विधानसभा क्षेत्र और मेडक लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। फिर सीएम केसीआर ने विधानसभा सीट छोड़ दी थी। साथ ही मनमोहन सिंह कैबिनेट में मंत्री बनने के लिए केसीआर ने मेडक एमपी सीट बरकरार रखी थी।
साल के अंत तक होंगे चुनाव
उस दौरान तेलंगाना में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे। साल 2018 में सीएम के तौर पर केसीआर ने दोनों चुनावों को अलग करने का फैसला किया। इस दौरान राज्य विधानसभा को भंग कर दिया गया था। जिससे कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और मिजोरम के साथ राज्य विधानसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर में हो सकें। वहीं इस बार मुख्यमंत्री ने दो विधानसभा क्षेत्रों सिद्दीपेट जिले के गजवेल और कामारेड्डी से चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
सीएम ने दो निर्वाचन क्षेत्रों से लड़ेगा चुनाव
हांलाकि केसीआर के लिए निर्वाचन क्षेत्र बदलना कोई नई बात नहीं है। सिद्दीपेट निर्वाचन क्षेत्र से साल 1985 से 2004 तक लगातार पांच बार विधानसभा चुनाव जीता। साल 2004 में मेडक लोकसभा सीट बरकरार रखने के बाद सीएम ने अपने भतीजे टी हरीश राव के लिए सिद्दीपेट विधानसभा सीट छोड़ दी। साल 2006 में केसीआर ने मेडक लोकसभा सीट छोड़ दी थी। उन्होंने करीमनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी।
साल 2009 सीएम केसीआर ने लोकसभा क्षेत्र महबूबनगर स्थानांतरित कर लिया। साल 2014 गजवेल से विधानसभा सीट जीतकर राज्य विधानसभा में लौटे। इस जीत को उन्होंने दिसंबर 2018 के चुनावों में भी बरकरार रखा। पिछले 9 सालों में सीएम केसीआर के निर्वाचन क्षेत्र गजवेल में सभी पहलुओं में अभूतपूर्व विकास कार्य किए।
क्यों चुना कामारेड्डी निर्वाचन क्षेत्र
बीआरएस पार्टी में ऐसी चर्चा थी कि सीएम केसीआर ने चुनाव लड़ने के लिए दो निर्वाचन क्षेत्रों – कामारेड्डी और पेद्दापल्ली को शॉर्टलिस्ट किया था। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो सीएम ने इस निर्वाचन क्षेत्र को शायद इसलिए चुना होगा, क्योंकि सीएम द्वारा कराए गए सर्वेक्षण से संकेत मिला था कि निर्वाचन क्षेत्र में बीआरएस को कठिन स्थिति का सामना करना पड़ेगा। राज्य में इस दौरान सत्ता विरोधी लहर है। तेलंगाना में विपक्षी कांग्रेस पार्टी को एक ध्रुव की स्थिति में धकेल रही है। ऐसे में चार से पांच अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में सर्वे कराने के बाद केसीआर ने कामारेड्डी को चुना।
बता दें कि पूर्व कांग्रेस मंत्री मोहम्मद अली शब्बीर ने इस निर्वाचन क्षेत्र कामारेड्डी का प्रतिनिधित्व किया था। उन्होंने कहा कि सीएम केसीआर ने सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद इस निर्वाचन क्षेत्र को चुना था। क्योंकि सीएम केसीआर को मालूम है कि यहां से मौजूदा विधायक गम्पा गोवर्धन को आगामी चुनावों में हार का सामना करना पड़ेगा। पिछले चुनावों में गोवर्धन ने करीब 5 हजार के अंतर से जीत हासिल की थी।