अनोखी कारीगरी… यहां मिल रहीं भगवान की सुंदर मूर्तियां, बाजारों से कम है कीमत

निखिल त्यागी/सहारनपुर. मूर्तिकार के हाथ में एक अलग ही जादू होता है, जिससे वह मिट्टी को जो चाहे वह रूप दे सकता है. सहारनपुर में भी एक मूर्तिकार राजस्थान से आकर मिट्टी कीमूर्तियां बना रहा है. भगवान की यह सुंदर मूर्तियां लोगों को बहुत भा रही है. इस मूर्तिकार की बनाई हुई मूर्तियां आमतौर पर औरों की बनाई हुई मूर्तियों से सस्ती मिल रही है.

सहारनपुर के उनाली गांव में इन दिनों राजस्थान से आए मूर्तिकार चर्चा का विषय बने हुए हैं. मूर्तिकार द्वारा भगवान गणेश जी की सुंदर मूर्तियां बनाई जा रही हैं. जिन्हें लोग बहुत पसंद कर रहे हैं. राजस्थान का यह मूर्तिकार पिछले कई वर्षों से शामली में गणेश जी की मूर्ति बना रहा है.

राजस्थान का मूर्तिकार
सहारनपुर गंगोह रोड स्थित उनाली गांव में राजस्थान निवासी मूर्तिकार गणपत भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति अपनी हस्त शिल्प कलाकारी से बना रहा है.गणपत ने बताया कि वह करीब एक महीना पहले उनाली गांव में आया था और यहां पर मूर्ति बनाने का काम शुरू किया था. मूर्तिकार ने बताया कि इससे पहले वह करीब सात वर्षों से शामली जिले के लिलोंन खेड़ी में मूर्ति बना रहा है. जहां पर उसकी मूर्तियां को बहुत पसंद किया गया. उन्होंने बताया कि कई बार सहारनपुर के लोगों ने उन्हें यहां आने के लिए कहा. इसलिए उन्होंने उनाली गांव में मूर्तियां बनाने की शुरुआत की है.

कई तरह की अनोखी मूर्तियां
मूर्तिकार गणपत राय ने बताया कि वह छोटी से लेकर करीब सात फीट ऊंचाई तक की मूर्तियां बना रहे हैं. सभी मूर्तियां भगवान श्री गणेश जी की है. मूर्तिकार के अनुसार हस्त शिल्प द्वारा बनाई गई मूर्तिया बाजार से कम दाम में उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि एक सौ रु से लेकर छः हजार रु तक की मूर्तियां हस्त शिल्प कला के द्वारा बना रहे हैं. गणपत ने बताया कि अभी उनके द्वारा बनाई गई छोटी मूर्तियां की अधिक मांग हो रही है.

इस तरह करते हैं मूर्ति तैयार
अनिल उनाली गांव में भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति बना रहे शिल्पकार गणपत ने बताया कि वह मूर्तियों में नारियल का भूसा, खड़िया मिट्टी और एक विशेष प्रकार के प्लास्टर का प्रयोग करते हैं. इसके अलावा मूर्ति बनाने में कच्चे पेंट को भी प्रयोग में लाया जाता है. गणपत राय ने बताया कि इसके मिश्रण से तैयार मूर्ति का न तो रंग खराब होता है और न हीं पानी का कोई प्रतिकूल प्रभाव मूर्ति पर पड़ता है. उन्होंने बताया की मूर्ति की चमक काफी समय तक बनी रहती है.

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