Teej 2023: सिर्फ सुहागिनों के लिए ही नहीं तीज, कुंवारी भी कर सकती हैं ये व्रत, यहां पढ़ें पूरी जानकारी

रामकुमार नायक/ महासमुंदः सनातन धर्म में तीज का खास महत्व माना जाता है. वैसे तो एक साल में तीन बार तीज का त्योहार मनाया जाता है, लेकिन तीनों ही तीज एक दूसरे से बहुत अलग हैं. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाने वाली तीज को हरतालिका तीज कहते हैं. हरतालिता तीज भगवान शिव पार्वती को समर्पित है. मान्यता है कि हरतालिका तीज का व्रत रखने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. 17 सितंबर 2023 को हरितालिका यानी तीजा व्रत रखा जाएगा.

प्रत्येक साल के भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत खा जाता है. इस तीज को उत्तर भारत के साथ-साथ मध्य भारत में तीजा भी कहा जाता है. शुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए यह व्रत रखती हैं. कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं. इस व्रत का महत्व बाकी तीजों से अधिक है.


निर्जला व्रत रखने की परंपरा!
माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए यह व्रत रखा था. हरतालिका तीज पर निर्जला व्रत रखने की परंपरा है. ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि भादों महीने के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि के दिन इस हरितालिका तीज व्रत को किया जाता है. इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या करके इस व्रत को किया था. इसी दिन भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर माता पार्वती को प्राप्त हुए थे.

पति के लंबी उम्र की कामना
इसलिए इस व्रत को सुहागिन माताएं बहनें अपने पति के साथ सुखदमंगलमय, दीर्घायु दाम्पत्य जीवन के लिए करती हैं. अविवाहित युवतियां भी हरितालिका तीज व्रत करती हैं. वे सुंदर सुशील और अच्छे पति की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं. इस व्रत में निर्जला व्रत किया जाता है. पूरे दिनभर – रातभर निर्जला व्रत रखकर आधी रात को भगवान शंकर और माता पार्वती की बालूमय, मृतिकामय शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करते हैं.

ये है परंपरा
सुहागन श्रृंगार के लिए पर्री भरते हैं. भगवान भोलेनाथ की मध्य रात्रि में फुलेरा सजाकर पूजा करते हैं. इसका तात्पर्य यह है कि माता पार्वती ने जिस प्रकार जंगल में रहकर फूल पत्तों से भगवान भोलेनाथ को सजाकर पूजा की थी, इसलिए आज भी यह परंपरा है घर में फुलेरा सजाकर उस रात्रि को माता बहनें पूजा करतीं हैं.

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