राफेल एंजेल करती हैं इस चर्च की सुरक्षा, ब्रिटिश काल से जुड़ा है इसका इतिहास

सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर. शाहजहांपुर का सेंट मैरी चर्च भारत के सबसे प्राचीन चर्च में से एक है. जो अपने आप में इतिहास को समेटे हुए है. शाहजहांपुर के खास सेंट मैरी चर्च में 1857 में क्रांति के दौरान जिला मजिस्ट्रेट समेत कई अंग्रेज अधिकारियों का कत्लेआम हुआ था. हर रविवार को खुलने वाले इस खास कैथोलिक चर्च को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं. चर्च के फादर और उनके अनुयायियों का विश्वास है कि उनकी गैर मौजूदगी में राफेल एंजेल पूरे चर्च परिसर की सुरक्षा करती हैं.

सेंट मेरी चर्च का निर्माण 1837 में कलकत्ता मिशनरी के विशप हार्पर के निर्देश पर कराया गया था. इतिहासकार डॉ विकास खुराना ने बताया कि 1857 में चर्च में एक घटना हुई थी. इसके बाद चर्च अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ गया. 31 मई 1857 को 28वीं रेजिमेंट की पहली बटालियन के सैनिक जवाहर सिंह के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने चर्च में धावा बोल दिया था. जिसमें तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट एम रिक्रेट के साथ-साथ अन्य कई अंग्रेज अधिकारियों को मार दिया गया था.

हरियाली और गैथोलिक शैली के लिए जाना जाता है चर्च

शाहजहांपुर के कैंट इलाके में बना सेंट मैरी चर्च हरियाली और सुगम वातावरण के लिए भी बेहद चर्चित है. चारों ओर हरियाली से भरे पेड़ आज भी चर्च को निहार रहे हैं. इतिहासकार डॉ विकास खुराना बताते हैं कि 1820 के करीब जब कलकत्ता मिशनरी के विशप हार्पर जनपद भ्रमण पर आए, तब यहां तैनात ब्रिटिश अधिकारियों और निवासियों ने उनसे चर्च को लेकर बातचीत की थी. जिसके बाद 1837 में चर्च बन कर तैयार हुआ. इस चर्च की ऊंचाई साठ फुट है. यह चर्च गैथोलिक शैली पर बना हुआ है.

2015 में हुआ था चर्च का कायाकल्प

दशकों पुराने इस चर्च का 2015 में कायाकल्प किया गया. 22 मार्च 2015 को सेंट मैरी चर्च का नाम बदलकर महादूत राफेल चर्च कर दिया गया. 1837 में बने इस चर्च की इमारत आज भी मजबूती के साथ खड़ी है.

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