मो. महमूद आलम/नालंदा: आजकल लोग एक तरफ जहां सरकारी नौकरी के लिए भाग रहे हैं. वहीं नालंदा के एक शख्स ने 2011 में रेलवे की नौकरी छोड़ दी और किसान बन गए. राकेश कुमार अब फूल गोभी की खेती में नया आयाम लिख रहे हैं. किसान राकेश कुमार ने बताया कि ऑफ सीजन में फूलगोभी दूसरे प्रदेशों से आती थी जो ₹40 से ₹80 की कीमत पर बिकती थी.
फिर साल 2021 में 10 ग्राम बीज खरीदकर दो कट्ठा जमीन में आधुनिक तकनीक से फूलगोभी की खेती शुरू की. इसमें कुल मिलाकर ₹4000 खर्च आया. तीन महीने में फूलगोभी तैयार हो गई. इससे दोगुना मुनाफा कमाया. उसके बाद आज तक 3 एकड़ में इसकी साल भर खेती कर रहे हैं, जिससे एक सीजन में 3 से 4 लाख रुपये का मुनाफा हो रहा है और साल का 16 लाख रुपये आराम से कमा रहे हैं.
अब कम कीमत पर साल भर मिलती है फूल गोभी
राकेश कुमार आगे कहते हैं कि इस प्रयोग के बाद अब नालंदा में सिर्फ ठंड में ही नहीं, साल भर इसकी खेती हो रही है. यहां तैयार फूलगोभी का स्वाद राजधानी पटना, फतुहा, शेखपुरा के साथ ही अन्य जिलों के लोग भी ले रहे हैं. खरीदारों के लिए राहत यह कि पहले इस सीजन में झारखंड से फूलगोभी आती थी. क्वालिटी अच्छी नहीं रहने के बावजूद कीमत 50 से 60 रुपये (प्रति पीस) चुकानी पड़ती थी. अब लोकल फूलगोभी बाजार में आने से क्वालिटी अच्छी मिल रही है और कीमत 25 से 30 रुपये (प्रति पीस) देनी पड़ती है. हर दिन औसतन दो लाख की फूलगोभी बिक जाती है. एक गाड़ी में 1500 के करीब फूलगोभी लोड होती है.
उद्यान विभाग का प्रयोग सफल रहा
राकेश कुमार ने बताया कि उद्यान महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. पंचम कुमार सिंह का सहयोग मिला तो अन्य सीजन में भी फूलगोभी की खेती का मन बनाया है. वैरायटी सिजेंटा-6099 के बीज ने किसानों को खेती में कुछ नया करने का मौका दिया. कई बार महाविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों के खेत पर आकर खेती की तकनीकी जानकारियां दीं. पिछले साल ट्रायल के तौर पर समूह के कुछ किसानों ने दो से तीन कट्ठे में खेती शुरू की थी. अब साल भर सोहडीह और इसके आसपास के इलाके में फूलगोभी की खेती कर रहे हैं. सिर्फ इस इलाके में 300 एकड़ खेत में गोभी की पैदावार हो रही है. जबकि पूरे जिले में 1000 एकड़ में किसान खेती कर दोगुना मुनाफा कमा रहे हैं. इसके लिए फसल चक्र भी बना लिया है.
आर्गेनिक पेष्टिसाइड के प्रयोग को दें प्राथमिकता
राकेश कुमार आगे बताते हैं कि खरीफ सीजन में फूलगोभी की खेती में कई प्रकार की सावधानियां जरूरी हैं. पहले दो से तीन दिन पर खेत की सिंचाई करते रहना चाहिए. ऑर्गेनिक पेस्टिसाइड के प्रयोग को प्राथमिकता देनी चाहिए. रासायनिक पेस्टिसाइड का इस्तेमाल कम से कम करें. कारण, यह गर्म होता है. यूरिया खाद का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. अगर वर्मी कम्पोस्ट नहीं है, तो एक साल पुराना गोबर खेतों में डालें. पौधे लगाने से पहले प्रति चार कट्ठे में एक ट्रॉली गोबर देकर गहरी जुताई करनी चाहिए. ध्यान यह भी रखना है कि पौधों की रोपाई के 20 से 25 दिन हो जाएं तो मिट्टी चढ़ाने से पहले प्रति चार कट्ठे 100 किलो वर्मी कम्पोस्ट दें. 25 से 30 दिनों में नर्सरी तैयार होती है. 60 से 65 दिनों में पौधे से फूल निकलने लगते हैं. 45 से 50 दिनों तक फूलों की कटाई होती है.
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FIRST PUBLISHED : September 10, 2023, 14:33 IST