दुनिया के सबसे प्राचीन नगर में पत्थरों पर बनी है कृष्ण की बाल लीला, 1600 साल पुराना है यह शहर

अनुज गौतम / सागर. दुनिया के सबसे प्राचीन नगर कहे जाने वाला “एरण” मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित है. सागर जिले के बीना तहसील में आने वाला एरण नगर 1600 साल पुराना है. इस नगर का निर्माण 500 ई. के आसपास का बताया जाता है. यहां पर गुप्तकालीन कला की अद्भुत कलाकारी पत्थरों पर उतारी गई है जिसमें भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं को भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. लड्डू गोपाल की बाल लीला के दृश्य उत्कीर्ण किए गए है.

कृष्ण द्वारा कालियानाग मर्दन का दृश्य
पत्थर पर की गई इन अद्भुत कलाकारी को लेकर डॉक्टर हरिसिंह और विश्वविद्यालय पुरातत्व विभाग के डॉक्टर नागेश दुबे और डॉक्टर मोहनलाल चढ़ार बताते हैं कि इसमें कृष्ण द्वारा कालियानाग का दृश्य बड़ी भव्यता से प्रदर्शित किया गया है, यह दृश्य नाग सम्प्रदाय और कृष्ण सम्प्रदाय की प्रतिद्वन्दिता का प्रतीक है. प्राचीन काल में नाग पूजा का अधिक प्रचलन था कालान्तर में श्रीकृष्ण सम्प्रदाय को प्रभावी दर्शाने के लिए कालिया मर्दन का स्वरूप प्रदर्शित किया गया है.

कृष्ण जन्म से कंस वध तक के चित्र अंकित
एरण से प्राप्त गुप्तकालीन शिलापट्टों पर उत्कीर्ण विभिन्न कृष्ण लीला सम्बन्धी दृश्यों से स्पष्ट होता है कि गुप्त काल में भागवत सम्प्रदाय का प्रचलन था. एरण की गुप्त कालीन कला में श्रीकृष्ण बलराम व अन्यदृश्यों से कला का सौन्दर्य स्पष्ट झलकता है. अन्य शिलाफलकों में श्रीकृष्ण का महाराज कंस के दरबार में आगमन, योद्धाओं से मलयुद्ध तथा कंस वध यमुना-स्नान के दृश्य भव्यता पर उकेरे गए है.

अभी एरन में स्थित 9 शिला पट्टीकाओ में से पहले पत्थर में कृष्ण जन्म से पहले माता देवकी का सर प्रसव पीड़ा के समय एक नई आकृति की गोद में रखा हुआ है. पास ही अश्विनदीप को बैठे हुए उत्क्रीन किया गया है. इसी दृश्य में ढाल तलवार लिए हुए कारागार में रक्षको की आकृति बनी हुई है.

विभिन्न शिला पट्टिकाओं पर कृष्ण लीला को दर्शाया
इसी पत्थर के बाजू में लगे दूसरे पत्थर पर कृष्ण जन्म का दृश्य अंकित किया गया है. माता देवकी और नवजात बालक कृष्ण को दिखाया गया है. आकाश में देवताओं और महाराज कंस के द्वार रक्षकों को प्रदर्शित किया गया है. करवास के एक रक्षक को नींद की अवस्था में दिखाया गया है.

तीसरी पत्थर में माता देवकी लेटी हुई बालकृष्ण को स्तनपान कराते हुए दिख रही हैं वासुदेव द्वारा नंद को कृष्ण को सौंपते हुए तथा नंद की नवजात कन्या को स्वीकार करते हुए दिखाया गया है.

चौथी पत्थर में यमुना जी पार करने के साथ दो पेड़ो के बीच में श्री कृष्ण को कमर में मथानी बंदे दिखाया गया है पास में माता यशोदा और नंद बाबा को अपने सेवक के साथ खड़े हुए हैं. बाजू वाली पत्थर में प्रालंबासुर वध और पूतना वध के दृश्य बेहद ही कलात्मक ढंग से दिखाई देते हैं

एक और पत्थर में कालिया नाग का कृष्ण द्वारा मर्दन करने की पौराणिक कथा को मूर्ति रूप दिया गया है. एक और पत्थर में कुबड़ी स्त्री का उपचार करते हुए कृष्ण को एक शिला फलक में दिखाया गया है. सुरक्षा दीवार में लगे एक पत्थर पर कंस वध को दिखाया गया है.वहीं मंदिर परिसर में लगे एक और पत्थर में बलराम कृष्ण और अर्जुन अंकित हैं.

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