हाइलाइट्स
चंद्रयान 3 मिशन की सफलता में खूंटी के सोहन यादव की बड़ी भूमिका.
ट्रक ड्राइवर पिता ने ISRO में साइंटिस्ट बेटे सोहन को दिया था आशीर्वाद.
चंद्रयान 3 की लैंडिंग के समय सोहन यादव की मां वैष्णो देवी मंदिर में थीं.
रांची. ISRO में काम करने वाले वैज्ञानिकों की चर्चा पूरे देश में हो रही है. इसी चर्चा में एक नाम है साइंटिस्ट सोहन यादव का. सोहन यादव झारखंड के खूंटी के तोरपा के तपकरा के रहने वाले हैं. बेहद ही गरीब और ट्रक ड्राइवर पिता के बेटे सोहन की चर्चा आज पूरे खूंटी में जोरों पर है. बचपन से ही आर्थिक तंगी देखने वाले परिवार के बीच पले बढ़े सोहन यादव ने ISRO 2016 में ज्वायन किया और वह चंद्रयान 3 के मुख्य प्रोजेक्ट में शामिल थे.
28 वर्षीय सोहन यादव के भाई गगन यादव बताते हैं कि जिस समय चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कर रहा था उसे समय पूरे परिवार की नजरें टेलीविजन पर थीं. गगन बताते हैं कि जब 14 जुलाई को चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग हुई थी तब वह और उनकी मां वैष्णो देवी की यात्रा पर थी.
सोहन के भाई गगन यादव बताते हैं कि वह बचपन से ही खामोश और गुमशुम रहता था. गगन यादव बताते हैं कि सोहन बचपन से ही मेधावी छात्र रहा है. उसकी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु विद्यालय तपकरा में हुई. पांचवी कक्षा में सोहन का नामांकन नवोदय मेसरा, रांची में हुआ, जहां उन्हें स्कॉलरशिप मिली.
दरअसल, सोहन यादव के पिता ट्रक ड्राइवर थे. तीन हजार रुपये की मासिक आमदनी में घर के चार बच्चों को पढ़ाना उनके बूते की बात नहीं थी. दसवीं पास करने के बाद सोहन का नामांकन इंटर में रांची के डीएवी बरियातू में हो गया. जहां उनकी फीस 2500 रुपये थी. तीन हजार रुपये महीना कमाने वाले पिता ने सोहन के भविष्य को देखते हुए उसकी फीस को भरना स्वीकार किया.
पूरा परिवार महज 500 रुपये में चलता था, जिस वजह से बड़े भाई गगन यादव ने भी पढ़ाई छोड़कर छोटा-मोटा व्यापार करने लगे. दो भाई और दो बहनों में सोहन का स्थान तीसरा है. सभी भाई-बहनों की शादी हो चुकी है. ऐसे में अब मां को सोहन की शादी की फिक्र है. परिवार जल्द से जल्द सोहन के लिए एक अच्छी लड़की की तलाश कर रहा है.
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FIRST PUBLISHED : August 24, 2023, 18:17 IST