कभी गोलियों की तड़तड़ाहट से थर्रा जाता था यह इलाका, अब SSB जवान दे रहे शिक्षा

गुलशन कश्यप/जमुई : बिहार के जमुई जिला का एक ऐसा गांव जो कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था. साथ ही अक्सर गोलियां की तड़तड़ाहट गूंजा करती थी. लेकिन अब नक्सल प्रभावित इस इलाके का मंजर बदला-बदला सा नजर आने लगा है. अब इस इलाके में नई उम्मीद की किरण दिखने लगा है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका एसएसबी के जवानों ने अदा किया है. जिस नक्सल प्रभावित गांव की चर्चा कर रहे हैं उसका नाम चकरा पत्थर है.

इस गांव में शिक्षा की बात तो दूर लोग अपने घरों से निकलने से पहले दस बार सोचा करते थे. हालांकि एसएसबी ने सिर्फ लोगों के मन से भय को दूर किया बल्कि गांव के बच्चों शिक्षा से जोड़ने का काफी मेहनत की. पिछले छह माह की मेहनत रंग लाया और बच्चे स्कूल आने लगे. एसएसबी जवान शिक्षकों की कमी को देखते हुए खद बच्चों को तालीम देते हैं. विद्यालय में बच्चे सिलेबस के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी सहित कई विषय में महारत हासिल कर रहे हैं.

एसएसबी ने विद्यालय को ले लिया है गोद

आपको बता दें कि यह इलाका पहले अत्यंत नक्सल प्रभावित था और यहां लोगों की पहली प्राथमिकता जिंदा रहने की थी. ऐसे में इस इलाके के लोगों के लिए शिक्षा से जुड़ पाना संभव नहीं हो पा रहा था.एसएसबी ने स्थानीय लोगों के साथ-साथ शिक्षकों से मिलकर तस्वीर बदल दी. स्थिति यह है कि उत्क्रमित उच्च विद्यालय चरका पत्थर में लगभग 400 बच्चे नामांकित हैं. हालांकि यहां मात्र एक ही शिक्षक के पदस्थापित होने के कारण विद्यालय में असामान्य सी स्थिति उत्पन्न हो गई थी और बच्चे पढ़ नहीं पा रहे थे.

विद्यालय के प्रधान हिमांशु शेखर ने बताया कि वर्ष 2014 में जब विद्यालय की स्थापना हुई तो उसके बाद 1 साल तक स्थिति ठीक-ठाक रही. लेकिन 2015 के बाद से विद्यालय में मात्र एक ही शिक्षक है. इस कारण काफी परेशानी होती थी. बच्चों को सही ढंग से नहीं पढ़ पाने से बच्चे शिक्षा से दूर हो रहे थे. ऐसे में एसएसबी ने इस विद्यालय को गोद ले लिया है. उनके द्वारा प्रतिदिन बच्चों को पढ़ाया जाता है. वह स्कूल में आते हैं तथा अलग-अलग जवानों के द्वारा बच्चों को अलग-अलग विषय की शिक्षा दी जाती है. इसमें बच्चे पढ़ भी रहे हैं और काफी मदद भी हो जा रही है.

एसएसबी जवान बच्चों को देते हैं रोजाना शिक्षा

एसएसबी 16वीं वाहिनी के कमांडेंट आशीष वैष्णव ने बताया कि लगातार हम लोगों के द्वारा ऐसे ही इलाकों में कई सारे काम किया जा रहे हैं. लोगों को सुरक्षा देने के साथ-साथ मुख्य धारा से जोड़ने और उन्हें शिक्षित करने के लिए भी कदम उठा रहे हैं. इस इलाके में जवान अक्सर आते रहते थे, तब देखा कि इस विद्यालय की शिक्षक की कमी होने के कारण बच्चे सही ढंग से पढ़ नहीं पा रहे हैं. ऐसे में सोचा कि क्यों ना बच्चों को खुद ही पढ़ाया जाए.

क्योंकि आजकल एसएसबी में कई सारे जवान ऐसे आ रहे हैं, जो काफी शिक्षित हैं और बच्चों को अच्छा पढ़ पा रहे हैं. इसके अलावा बच्चों ने किताब नहीं होने की समस्या भी हमारे सामने रखी थी. जिसके बाद स्कूल में पुस्तकालय की भी शुरुआत की गई है. जिसमें बच्चे न सिर्फ स्कूल के वक्त पढ़ सकते हैं. बल्कि पुस्तकालय से किताबें ले जाकर अपने घर पर भी पढ़ सकते हैं. इन इलाकों में शिक्षा का दीप जलते देखना काफी अच्छा है और ऐसे ही सभी नक्सल प्रभावित इलाकों के बच्चे पढ़ सके, यही हमारा उद्देश्य है.

Tags: Bihar News, Jamui news, Local18

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *