923 वोट से हराकर तरुण भनोट ने बीजेपी से झटकी थी सीट,राकेश सिंह दे पाएंगे टक्कर

जबलपुर. जबलपुर को संस्कारों की नगरी कहा जाता है. क्योंकि जबलपुर को संस्कारधानी का नाम आचार्य विनोबा भावे ने दिया है. इस संस्कारधानी में भी चुनावी माहौल शबाब पर है. जबलपुर जिले में आठ विधानसभा सीट हैं. इनमें से पश्चिम विधानसभा हाई प्रोफाइल सीट है. यहां कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे कांग्रेस के तरुण भनोट और बीजेपी सांसद राकेश सिंह के बीच सीधा मुकाबला है. कॉन्ग्रेस के 15 महीनों की सरकार में जहां तरुण भनोट वित्त मंत्री रहे वहीं भाजपा प्रत्याशी राकेश सिंह जबलपुर के चार बार के सांसद और लोकसभा के मुख्य सचेतक रह हैं. दोनों ही प्रत्याशी अपने आप में बड़ा चेहरा हैं. इनमें से किसी एक को चुनना मतदाता के लिए भी कठिन फैसला है.

तरुण भनोट इस सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं. जनता के बीच उनकी अच्छी पकड़ है. जबलपुर पश्चिम विधानसभा सीट का राजनीतिक के साथ सामरिक महत्व भी है. इस विधानसभा क्षेत्र में मदन महल की खूबसूरत और ऐतिहासिक पहाड़ी, रानी दुर्गावती का किला, मां नर्मदा के गौरीघाट से लेकर कई पर्यटन स्थल हैं. नर्मदा के गौरी घाट की देशभर में एक अलग पहचान है. गौरीघाट में पूजन करने के लिए राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से लेकर कई तमाम बड़े नेताओं ने पूजन अर्चना करते हुए चुनावी शंखनाद भी किया है.

तरुण भनोट VS राकेश सिंह
यहां हर बार चुनावी मुकाबला भाजपा कांग्रेस में ही होता रहा है. लेकिन पिछले एक दशक से कांग्रेस के पूर्व वित्त मंत्री और वर्तमान विधायक तरुण भनोट हैं. इस इलाके में कुल 2 लाख 18 हजार 903 मतदाता हैं. इनमें पुरुष वोटरों की संख्या 1 लाख 11 हजार 672 तो वहीं महिला वोटरों की संख्या 1 लाख सात हजार 220 है. अगर जातीय समीकरण की बात की जाए तो इस विधानसभा में यादव समाज सबसे ज्यादा संख्या में हैं. इसके बाद कुशवाहा, ब्राह्मण, कुम्हार, बर्मन, राजपूत ठाकुर, सेन, जैन एवं सिख समाज के मतदाता हैं. इसके साथ ही कई अन्य समाज के परिवार भी यहां निवास करते हैं.

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बीजेपी प्रत्याशी 923 वोट से हारे थे
इसी विधानसभा क्षेत्र में मदन महल की पहाड़ी भी है. यहां पलायन बड़ा मुद्दा है. यहां रहने वाले हजारों परिवारों को वहां से पलायन करना पड़ा था. उन्होंने भाजपा के पूर्व मंत्री हरेंद्रजीत सिंह बब्बू को 2013 के विधानसभा चुनाव में 923 वोटों से और 2018 में 18 हजार 683 वोटो से हराकर कांग्रेस के तरुण भनोट को जीत दिलाई थी. इस बार भी इस सीट पर मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के ही बीच है. इस विधानसभा सीट में सबसे ज्यादा संख्या हिंदू वोटरों की है. यही वजह है कि यहां चुनावी वादों के साथ सनातन धर्म को लेकर भी भाजपा और कांग्रेस के बीच बयानबाजी हो रही है.

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सबसे पिछड़े और सबसे संपन्न दोनों मतदाता
पश्चिम विधानसभा क्षेत्र का सबसे ज्यादा मतदाता गोंडवाना के गढ़ मंडला क्षेत्र यानी की गढ़ा त्रिपुरी में है. जहां बीते कई वर्षों से लोग घनी बस्तियों में निवास कर रहे हैं. तिलवारा घाट, गौरीघाट से लगे क्षेत्र और रामपुर नयागांव, धनवंतरि नगर, शास्त्री नगर, मदन महल एरिया इसके साथ ही शारदा चौक, सगड़ा, एलआईसी में लोग रहते हैं. यही वजह है कि पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण ग्रामीण परिवेश की झलक देखने को मिलती है. यहां लोगों की समस्याएं भी गांव जैसी ही हैं. क्योंकि लोगों के पास रोजगार नहीं होने के कारण सबसे ज्यादा लोग नशे और अपराध में फंसे हुए हैं. दूसरी तरफ नयागांव में संभ्रांत लोगों की कॉलोनी है. यहां पर बड़े उद्योगपति और शहर के सबसे संपन्न परिवार निवास करते हैं. इसके अलावा गोरखपुर का बाजार वहां के स्थानीय लोगों का बाजार है. जो छोटी-छोटी गुमटी लगाकर अपना व्यापार करते हैं. तमाम परिस्थितियों और स्थानीय मुद्दों के चलते इस बार भी भाजपा कांग्रेस के बीच में कड़ी टक्कर मानी जा रही है.

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