आदित्य आनंद/गोड्डा. दिव्यंगता एक ऐसा शब्द जिसे सुनते ही हमारे जहन में एक बेबस लाचार और असहाय व्यक्ति की तस्वीर उभरती है. जो शरीर के किसी अंग के दुर्बल होने की वजह से अपना पूरा जीवन दुखमय स्थिति में व्यतीत करते है. लेकिन गोड्डा के महागामा थाना क्षेत्र के तेतरिया निवासी पीर मोहम्मद दिव्यांग होने की बावजूद आम लोगों की तरह सामान्य जीवन जी कर जिले के लिए मिसाल बने हुए हैं.
दरसल,पीर मोहम्मद बचपन से दिव्यांग है और इनकी उम्र 45 वर्ष है. यह पिछले 20 वर्षों से अपनी दिव्यंता से परे आम लोगों की तरह पास के ललमटिया कोयला खदान से कोयला चुनते हैं और बाजार में बिक्री करते हैं.उसी पैसे से अपना और अपनी पत्नी का भरण पोषण करते हैं.
उठ जाते हैं सुबह 4 बजे
पीर मोहम्मद ने कहा कि वह अपने शरीर से 85% दिव्यांग है. इसके बावजूद व रोजाना सुबह 4 बजे जग कर कोयला खदान कोयला चुनने के लिए जाते हैं और अपने तीन पहिया ट्राई साइकिल से कोयला चुनकर जमा करते हैं और बाजार में बेचते हैं.जिससे वह रोजाना 150 से 200 रुपए तक कमाते हैं.वह पूरे दिन में एक बार ही कोयला चुनकर बेचते हैं और सुबह 4 बजे से 8 तक वह अपने घर वापस आ जाते हैं.उन्होंने आगे बताया वह पिछले 20 वर्षों से इसी प्रकार कोयला चुनकर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं और पिछले 20 वर्षों के अनुभव से पेट की भूख उनके दिव्यांगता को आड़े नहीं आने देती है व रोजाना कोयला चुनकर बाजार के किसी भी होटल में कोयला बेच देते हैं और और लोग भी उन्हें सराहना करते हुए उनकी कोयले को तुरंत खरीद लेते हैं.
हर दिन 50 से 60 केजी कोयले बेच देते हैं
महागामा बाजार के होटल संचालक विनय शाह ने बताया कि पीर मोहम्मद रोजाना अपनी ट्राई साइकिल में 50 से 60 केजी के करीब कोयला लेकर आते हैं. जिसे कोई ना कोई आसपास के होटल वाले खरीद लेते हैं और इनसे मूलतोल भी नहीं करते हैं. पीर मोहम्मद वैसे और सहायक लोगों के लिए मिसाल है जो अपनी निर्धनता को मजबूरी बताते हुए आगे नहीं बढ़ पाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 31, 2023, 21:26 IST