शिवकुमार जोगी/गुना. एमपी के गुना शहर में आरोन वायपास पर बना प्राचीन मंशापूर्ण वक्र गणेश मंदिर जिले का पहला ऐसा प्राचीन मंदिर है, जो मुगल कालीन समय का है. माना जाता है कि ये लगभग 800 साल पुराना है. इस मंदिर में गणेश जी की प्रतिमा के दर्शन करने के लिए लोग दूर दूर से यहां आते हैं. सबसे खास बात इस मंशापूर्ण गणेश मंदिर की यह है कि अधिकांश मंदिरों में गणेश जी का मूषक उनके बगल में विराजमान होता है, लेकिन इस मंदिर में गणेश जी मूषक पर सवार है.
इसके साथ ही प्रतिमा को देखा जाए तो पहली भुजा में लड्डू के भोग के साथ ही दूसरी भुजा में काल दंड है. वहीं तीसरी भुजा में फरसा के साथ चतुर्थ भुजा में रुद्राक्ष की माला धारण किए हुए हैं. मस्तक पर चंद्रमा विराजमान है. सिर पर शर्प के साथ सबसे विशेष यह है इनके तीन नेत्र हैं. इसके साथ ही आपको इस मंशा पूर्ण मंदिर में एक नहीं बल्कि दो गणेश प्रतिमाएं मिलेंगी.
दर्शन मात्र से ही खुल जाते हैं विवाह के रास्ते
गणेश जी को हिन्दू धर्म में प्रथम पूज्य देवता माना गया है. इसके साथ ही श्रद्धालु किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले सर्व प्रथम इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं. ऐसे ही जिन लड़के लड़कियों के विवाह में अड़चन आती है, इस मंदिर में दर्शन मात्र से ही उनके विवाह के रास्ते खुल जाते हैं. जब लोकल 18 की टीम ने मंदिर के पुजारी वेंकटेश भार्गव से बात की, तब उन्होंने बताया कि यह हमारी तीसरी पीढ़ी है, जो इस मंदिर की सेवा कर रही है. इसके साथ ही बुधवार और गणेश चतुर्थी पर यहां भक्तो की काफी भीड़ दर्शन के लिए आती है. इन दिनों में श्रद्धालु हवन पूजन कराकर अपने कार्य की सफलता के लिए मनोकामना करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : January 31, 2024, 17:53 IST