नई दिल्ली. कर्नाटक में रहने वाली एक महिला अपने घर के पास मौजूद आवारा कुत्तों से बेहद परेशान थी. इस बीच एक डॉग ने आठ बच्चों को जन्म दे दिया. रोज-रोज के शोर से तंग आकर महिला इस कदर गुस्से में आ गई कि उसने सभी पिल्लों को मौत के घाट उतार दिया. ट्रायल कोर्ट के समक्ष 72 वर्षीय इस बुजुर्ग महिला ने अपना अपराध कबूल कर लिया. जिसके बाद उन्हें पशुओं पर क्रूरता के कानून के तहत एक हजार रुपये का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया. अधिक उम्र और अपराध कबूल लेने के चलते उनपर नरमी बरती गई.
कुछ स्वय सेवी संगठनों ने इस आदेश को कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी. हालांकि हाईकोर्ट ने उनकी अपील को खारिज कर दिया है. न्यायमूर्ति जेएम खाज़ी ने कहा, “यह ध्यान रखना प्रासंगिक है कि जब घटना हुई, आरोपी की उम्र 65 वर्ष थी. उसने देखा कि एक आवारा कुतिया ने आठ पिल्लों को जन्म दिया था और वे दिन-ब-दिन चिल्ला रहे थे, उसने पिल्लों को नाली से निकाला और एक खाली जगह पर रख लिया. आरोप है कि इस वजह से पिल्ले अपनी मां के पास वापस नहीं जा सके और धूप में मर गए. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि कुतिया भी अपने पिल्लों तक पहुंचने में सक्षम नहीं थी.”
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ट्रायल कोर्ट का फैसला सही
इसमें उल्लेख किया गया है कि महिला ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष अपना दोष स्वीकार कर लिया था और उसे दोषी ठहराया गया था और केवल जुर्माना अदा न करने पर साधारण कारावास की सजा के साथ जुर्माना भरने की सजा सुनाई गई थी. हाई कोर्ट ने कहा, “अब दोषी की उम्र लगभग 72 वर्ष है. इन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत की राय है कि यह ट्रायल कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने के लिए उपयुक्त मामला नहीं है.”
20 दिन के पिल्ले भूख से मर गए
दोषी ने 15 मार्च 2016 को पिल्लों को उसके आवास के पास नाली से हटा दिया था और उन्हें एक खुले क्षेत्र में रख दिया था. फिर उसने नाली को अवरुद्ध कर दिया जिसके कारण पिल्ले और उनकी मां नाली में वापस नहीं जा सके. 20 दिन के पिल्ले अपनी मां के दूध के बिना मर गए थे.
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FIRST PUBLISHED : January 16, 2024, 22:37 IST