रामकुमार नायक/महासमुंद – छत्तीसगढ़ में विकास को लेकर सरकार लाख दावा करती है, लेकिन कई ऐसे इलाके हैं, जहां आज भी मूलभूत सुविधाएं नहीं है. महासमुंद जिले में सरायपाली विधानसभा के अंतिम छोर पर वनांचल क्षेत्र से घिरा हुआ सरगुनाभांठा का आश्रित गांव डीपापारा, जहां अब तक विकास नाम की चिड़िया नहीं पहुंच पाई है. विकास के दावों को झुठलाता डीपापारा गांव जहां के नदी में अब तक पुल नहीं बन पाया है. ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं. वहीं इस वजह से अंचल के स्कूली बच्चे समय पर स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं.
महासमुंद जिला मुख्यालय से 140 किमी. दूर सरगुनाभांठा डीपापारा गांव, जहां आजादी के 75 साल बाद भी गांव में न सड़क बन पाया है, न नदी में पुल, जहां लगभग 30 से 40 परिवार के 200 लोग निवासरत हैं और वहां कुछ भी मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं हैं, जिसके चलते ग्रामीणों को आने जाने में बहुत ही परेशानी होती है. वहीं जब भारी बरसात होती है तो एक गांव से दूसरे गांव जाने के लिए संपर्क टूट जाता है.
मंडराता रहता है जान का खतरा
बच्चों की पढ़ाई भी दांव पर लग जाती है. आंगनबाड़ी में जाने वाले छोटे-छोटे बच्चे और मिडिल और हाई स्कूल में पढ़ने वाले स्कूली बच्चे भी इसी नदी पर बांस के बने कच्चे पुल पर से अपनी जान जोखिम में डालकर पुल पार कर दूसरे गांंव पढ़ने स्कूल जाते हैं. यहां के ग्रामीणों को यह डर हमेशा सताता है कि कहीं नदी पार करते समय उनके बच्चे और उनके साथ कोई अनहोनी ना हो जाए.
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FIRST PUBLISHED : September 05, 2023, 13:03 IST