73 KM पैदल चलकर पहुंचे थे अयोध्या, कारसेवा के दौरान शवों की रखवाली भी की थी

ओम प्रकाश निरंजन/कोडरमा: अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि में नवनिर्मित राम मंदिर के आंदोलन में कारसेवकों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 30 अक्टूबर 1990 को कोडरमा रेलवे स्टेशन से सैकड़ों कारसेवक अयोध्या के लिए रवाना हुए थे. जिसमें कोडरमा, हजारीबाग, रामगढ़ गिरिडीह, समेत जिले के कई कारसेवक थे. कारसेवक रह चुके कोडरमा के विनोद भदानी ने उस दौर के अनुभव को साझा किया है.

पुलिस से बचते हुए अयोध्या हुए रवाना
झुमरी तिलैया के विद्यापुरी निवासी विनोद भदानी ने बताया कि 1990 में विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर वह कारसेवा के लिए साथियों के साथ अयोध्या गए थे. कारसेवा को लेकर पूरे देश में पुलिस अलर्ट पर थी. ऐसे में कारसेवकों को पुलिस हिरासत पर ले रही थी. 30 अक्टूबर को वह अपने साथी रामचंद्र गुप्ता और मुन्ना कंधवे के साथ आसनसोल वाराणसी पैसेंजर ट्रेन से अयोध्या के लिए रवाना हुए थे.

73 किलोमीटर पहले उतरकर पैदल पहुंचे थे
विनोद भदानी ने बताया कि पुलिस की घेराबंदी और गिरफ्तारी से बचने के लिए वह अयोध्या से पहले पाखरौली स्टेशन में चेन पुलिंग कर ट्रेन से उतर गए थे और करीब 73 किलोमीटर पैदल चलकर दो दिन बाद अयोध्या पहुंचे थे. 2 नवंबर को अयोध्या में विवादित ढांचे को कारसेवकों ने ढहा दिया. इसके बाद पूरे देश में कर्फ्यू जैसा माहौल था. अयोध्या में चारों तरफ कारसेवकों को लाठी और गोली का भय था.

कोठारी बंधु समेत अन्य के शव की रखवाली का मिला जिम्मा
विनोद भदानी ने बताया कि विवादित ढांचा ढहने के बाद पुलिस की गोलीबारी में मारे गए कोलकाता के कोठारी बंधु समेत चार लोगों के शव की रखवाली करने का जिम्मा विनोद भदानी और उनके दो साथियों को मिला था. गोलीबारी के बाद चारों शव चारधाम मंदिर परिसर में रखे गए थे. बताया कि कई आंदोलनकारी के शव पुलिस द्वारा नदी में बहा दिया गया था. इस दौरान चार धाम मंदिर के तहखाने में विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक सिंघल की अगुवाई में बैठक होती थी, जिसकी पहरेदारी का जिम्मा भी उन्हें मिला था.

राजनीतिक षड्यंत्र के कारण विलंब से निर्माण
विनोद भदानी ने बताया कि राम मंदिर निर्माण का सपना कई वर्ष पहले पूरा हो जाता, लेकिन राजनीतिक षड्यंत्र के तहत यह पूरा नहीं हो पा रहा था. केंद्र में भाजपा की सरकार आने पर यह संभव हो पाया है. बताया कि प्रधानमंत्री के आह्वान के अनुसार वह 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम प्रभु की प्राण प्रतिष्ठा का दर्शन ऑनलाइन करेंगे. इसके बाद भीड़ कम होने पर वह सपरिवार अयोध्या श्रीराम प्रभु के दर्शन के लिए रवाना होंगे. बताया कि श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में उनके साथी रहे रामचंद्र गुप्ता और मुन्ना कंधवे अब इस दुनिया में नहीं हैं.

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