72 एकड़ में बन रहा बुद्ध संग्रहालय, 75 फीसदी काम हो चुका पूरा

राजकुमार सिंह/वैशाली: अयोध्या में भव्य राम मंदिर लोगों के लिए दर्शनार्थ खोल दिया गया है. इसी तर्ज पर बिहार के वैशाली में भी भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है. दोनों मंदिर भले ही अलग-अलग धर्म की आस्था से जुड़ा हुआ है, लेकिन दोनों में एक समानता यह है कि जिस पत्थर से अयोध्या में राम मंदिर और संसद भवन का निर्माण हुआ है, इस पत्थर का इस्तेमाल वैशाली में बंद रहे बुद्ध स्तूप में किया जा रहा है.

72 एकड़ में मुख्य मंदिर सहित मेडिटेशन सेंटर, मीटिंग हॉल, योगशाला, अतिथि गृह, संग्रहालय सहित अन्य चीजें बन रही है. करोड़ों की लागत से बन रहा यह बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. आने वाले समय में यह स्थान बौद्ध धर्म का मक्का के रूप में जाना जाएगा.

300 करोड़ की लागत से बन रहा है बुद्ध स्तूप
दरअसल, बुद्ध के परिनिर्वाण के समय उनके अस्थि को आठ हिस्सों में बांटा गया था. जिसमें से एक हिस्सा वैशाली में था. उसी अस्थि कलश को इस बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय के मुख्य मंदिर में रखा जाएगा. जिसे देखने और प्रार्थना करने के लिए विदेशों के बौद्ध धर्मावलंबी यहां आएंगे. लगभग 300 करोड़ की लागत से 72 एकड़ में इसका निर्माण कराया जा रहा है और 75 प्रतिशत कार्य पूरा भी हो गया है.

इस भव्य मंदिर को बनाने वाली सापुरजी एंड पालनजी कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर प्रदीप विष्ट बताते हैं कि मुख्य स्तूप के साथ-साथ इस परिसर में लाइब्रेरी, मेडिटेशन हॉल, गेस्ट हाउस, विजिटर भवन, मीटिंग हॉल के साथ-साथ संग्रहालय भी बनाया जा रहा है जिसका काम लगभग पूरा हो चुका है. अब सिर्फ मुख्य स्तूप यानी मुख्य मंदिर के निर्माण का काम ही बचा है, जो काफी तेज गति से हो रहा है. बता दें कि इस प्रोजेक्ट को लेकर सीएम नीतीश कुमार काफी गंभीर हैं और अभी तक नीतीश कुमार चार बार यहां आकर निर्माण कार्य का जायजा ले चुके हैं. इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि सितम्बर महीने या उससे पहले इसका उद्घाटन कर दिया जाएगा.

पटना म्यूजियम में रखा हुआ है बुद्ध का अस्थि कलश
प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि मुख्य स्तूप बनाने में जिस पत्थर का इस्तेमाल किया जा रहा है वह सैंड स्टोन है जो दो रूप में पाया जाता है. टॉप लेयर वाले पत्थर को भर्रा बोलते हैं जो लाल कलर का होता है जबकि साइड से दूसरी वैरायटी लगाई जा रही है जिसे पिंक स्टोन बोला जाता है. उन्होंने बताया कि यह पत्थर राजस्थान के भरतपुर स्थित बयाना से आता है.

वैशाली के बुद्ध का अस्थि कलश पटना म्यूजियम में रखा गया है और बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय बन जाने के बाद अस्थि कलश को यहां स्थापित किया जाएगा. विश्व के बौद्ध धर्म को मानने वालों के लिए आस्था का सबसे बड़ा केंद्र होगा, क्योंकि वैशाली में मिले अस्थि कलश को ही पूरे विश्व के बौद्ध धर्मावलंबी सबसे पवित्र मानते हैं. ऐसे में इसके बन जाने के साथ ही पर्यटन के मानचित्र पर वैशाली का सितारा फिर से चमकेगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैशाली को एक अलग पहचान मिलेगी.

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