भूस्खलन का मलबा निर्माणाधीन सुरंग के टूटे हुए हिस्से पर गिर गया, जिससे ऑपरेशन में बाधा उत्पन्न हुई और साथ ही दो बचावकर्मी घायल हो गए। विवरण के मुताबिक फिलहाल फंसे हुए मजदूरों के आगे 50 मीटर से ज्यादा तक मलबा पड़ा हुआ है और उक्त हिस्सा बेहद कमजोर बताया गया है।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिल्क्यारा और डंडालगांव के बीच ढही निर्माणाधीन सुरंग के मलबे में अभी भी 40 मजदूर फंसे हुए हैं। रविवार को भूस्खलन के बाद पहली बार इस घटना की सूचना मिलने के बाद से 72 घंटे से अधिक समय बीत चुका है। भूस्खलन का मलबा निर्माणाधीन सुरंग के टूटे हुए हिस्से पर गिर गया, जिससे ऑपरेशन में बाधा उत्पन्न हुई और साथ ही दो बचावकर्मी घायल हो गए। विवरण के मुताबिक फिलहाल फंसे हुए मजदूरों के आगे 50 मीटर से ज्यादा तक मलबा पड़ा हुआ है और उक्त हिस्सा बेहद कमजोर बताया गया है।
बचाव अभियान अभी भी चल रहा है, इस हिस्से में जेसीबी मशीनें, बिजली जनरेटर, निर्माण सामग्री और कई अन्य छोटी मशीनें भी हैं, जिससे दूसरी तरफ पहुंचना मुश्किल हो रहा है। बुधवार शाम तक 25 टन वजनी मशीनें लेकर तीन विशेष विमान घटनास्थल पर पहुंचने की उम्मीद है। ये मशीनें मलबे को तोड़कर बचाव अभियान के लिए स्टील पाइप को दूसरी तरफ ले जाने में मददगार होंगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक चट्टान के संपर्क में आने से एक मशीन के कुछ हिस्से टूट गए।
बचाव दल ने कहा कि वे मलबे के साथ 50 मीटर तक 800 मिमी स्टील पाइप डालेंगे, जिससे उन्हें फंसे हुए मजदूरों को बचाने में मदद मिलेगी। इससे पहले भी, फंसे हुए श्रमिकों के लिए भागने का रास्ता तैयार करने के लिए सुरंग के अंदर मलबे के माध्यम से एक पाइप डाला गया था। स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर टीम ने कहा कि क्लौस्ट्रफ़ोबिया का ख़तरा कम है क्योंकि सुरंग की लंबाई लगभग दो किलोमीटर है। श्रमिकों को ऑक्सीजन, भोजन, पानी और दवाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।
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